________________ वसवां चरमपद [16 उदाहु चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वए य 16 उदाहुं चरिमे य प्रचरिमे य अवत्तव्वयाई च 20 उदाहु चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वए य 21 उदाहु चरिमे य अचरिमाइं च प्रवत्तव्वयाई च 22 उदाहु चरिमाइं च अचरिमे य प्रवत्तव्यए य 23 उदाहु चरिमाइं च प्रचरिमे य अवत्तव्ययाइं च 24 उदाहु चरिमाइं च प्रचरिमाइं च अवत्तम्बए य 25 उदाहु चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्वयाई च 26 ? एवं एते छव्वीसं भंगा। गोयमा ! परमाणुपोग्गले नो चरिमे 1 नो प्रचरिमे 2 नियमा अवत्तव्वए ||3, सेसा भंगा पडिसेहेयन्वा / (781 प्र.] भगवन् परमाणुपुद्गल क्या 1. चरम है ? 2. अचरम है ?, 3. अवक्तव्य है ? 4. अथवा 5. (बहुवचनान्त) अनेक चरमरूप है ?, 5. अनेक अचरमरूप है ?, 6. बहुत अवक्तव्यरूप है ? अथवा 7. चरम और अचरम है ? 8. या एक चरम और अनेक अचरमरूप है ? 6. अथवा अनेक चरमरूप और एक अचरम है ? 10. या अनेक चरमरूप और अनेक अचरमरूप है ? यह प्रथम चतुर्भगी हुई।१। अथवा (क्या परमाणुपुद्गल) 11. चरम और प्रवक्तव्य है ? 12. अथवा एक चरम और बहुत अवक्तव्यरूप है ? या 13. अनेक चरमरूप और एक प्रवक्तव्यरूप है ? अथवा 14. अनेक चरमरूप और अनेक प्रवक्तव्यरूप है ? यह द्वितीय चतुभंगी हुई // 2 // अथवा (परमाणुपुद्गल) 15. अचरम और प्रवक्तव्य है ? अथवा 16. एक अचरम और बहप्रवक्तव्यरूप है? या 17. अनेक अचरमरूप और एक प्रवक्तव्यरूप है ? अथवा 19. अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप है ? यह तृतीय चतुर्भगी हुई / 3 / अथवा (परमाणुपुद्गल) 16. एक चरम, एक अचरम और एक प्रवक्तव्य है ? 20. या एक चरम, एक अचरम और बहुत प्रवक्तव्यरूप है ? अथवा 21. एक चरम, अनेक अचरमरूप और एक प्रवक्तव्यरूप है ? अथवा 22. एक चरम, अनेक अचरमरूप और अनेक प्रवक्तव्य है ? अथवा 23. या अनेक चरमरूप, एक अचरम और एक अवक्तव्य है ? अथवा 24. अनेक चरमरूप, एक अचरम और अनेक प्रवक्तव्य है ? या 25. अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य है ? अथवा 26. अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और अनेक प्रवक्तव्य है ? इस प्रकार ये छव्वीस भंग हैं। |781 उ.] हे गौतम ! परमाणुपुद्गल (उपर्युक्त छब्बीस भंगों में से) चरम नहीं, अचरम नहीं, (किन्तु) नियम से अवक्तव्य | 0 है / शेष (तेईस) भंगों का भी निषेध करना चाहिए। 782. दुपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा। गोयमा ! दुपएसिए खंधे सिय चरिमे 1 नो अचरिमे 2 सिय प्रवत्तव्वए।०३, सेसा भंगा पडिसेहेयवा। [782 प्र.] भगवन् ! द्विप्रदेशिक स्कन्ध के विषय में (मेरी इसी प्रकार की छठवीस भंगात्मक) पृच्छा है, (उसका क्या समाधान है ?) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org