________________ प्रस्तुत ग्रन्थ के विशिष्ट अर्थसहायक श्री हुक्मीचन्दजी सा. चोरडिया [जीवन-रेखा] प्रागमप्रकाशनममिति का एकमात्र उद्देश्य वीतरागवाणी के निर्देशक जैन अागमों को मवमाधारण के लि कम से कम मूल्य में पठनपाठन के लिए सुलभ करना है। अतएव समिति की न कोई प्रादेशिक सीमाएं हैं और न साम्प्रदायिक / वह मभी अंचलों, प्रान्तों एवं देशों के लिए तथा समस्त गणों, गच्छों एवं सम्प्रदायों के लिए समान है। यही कारण है कि भारत के विभिन्न अंचलों में निवास करने वाले प्रागमप्रेमी सज्जनों का सहयोग समिति को प्राप्त हो रहा है। तथापि यह उल्लेख न करना अनुचित होगा कि नोखा (चांदावतों) के वृहत् चोरडिया-परिवार का योगदान अतिशय महत्त्वपूर्ण और मराहनीय है। इस परिवार के विभिन्न सदस्यों ने प्रागमप्रकाशन के इस भगीरथ-अनुष्ठान में जो आर्थिक सहयोग प्रदान किया है, वह असाधारण है। इससे पूर्व अनेक ग्रागमों का प्रकाशन इसी परिवार के श्रीमनों की आर्थिक सहायता से हुअा है और प्रस्तुत प्रागम भी इसी परिवार के एक प्रतिष्ठित मदस्य एवं श्रीमन्त सेठ हक्मीचन्दजी चोरडिया के विशेष अर्थमहयोग से हो रहा है। श्री हुक्मीचन्दजी चोरडिया म्व. सेठ जोरावरमलजी सा. के चार सुपुत्रों में मब मे छोटे हैं। आप सन् 1958 मे 1958 तक अपने बड़े भ्राता श्रीमान् दुलीचन्दजी सा., जिनका परिचय हम औपपातिकसूत्र में दे चुके हैं, के माथ भागीदार के रूप में व्यवसाय करते रहे / तत्पश्चात् अापने स्वतंत्र रूप से फाइनेन्म का व्यत्रमाय प्रारम्भ किया, जो अाज अापकी मूझबूझ और लगन के कारण पूरी तरह फल-फूल रहा है। श्री हक्मीचन्दजी सा. युवा हैं और युवकोचित उत्साह से सम्पन्न हैं, पर अापके उत्माह का प्रवाह एकमुखी नहीं है / वह जैसे व्यवसायोन्मुख है, उसी प्रकार मेवोन्मुख भी है। अपने व्यवसायकेन्द्र मद्रास में चलने वाली शैक्षणिक, माहित्यिक एवं मामाजिक अनेक संस्थानों के माथ आप विभिन्न रूप से जड़े हुए हैं और उनके माध्यम मे समाजसेवा का पुनीत दायित्व निभा रहे हैं / निम्नलिखित संस्थानों को आपका सहयोग मिला और मिल रहा है (1) जैनभवन (2) मानव-राहतकोष (3) श्री एम. एम. जैन एज्यूकेशन मोमाइटी (4) मुनि श्री हजारीमल म्मतिप्रकाशन (5) जैन मेवाममिति, नोखा (6) श्वे. स्था. जैन महिलासंघ (7) अहिंसाप्रचारसंघ (5) राजस्थानी युथ एसोसिएशन आप जैन मेडिकल रिलीफ सोमायटी, श्री गणेशीबाई गल्सं हाईस्कूल, श्री देवराज माणक चन्द हॉस्पीटल ग्रादि अनेक संस्थाओं के सदस्य हैं। इनके अतिरिक्त प्रापने जाहत की प्रशस्त भावना से ‘जोगवरमल हुक्मीचन्दजी चोरड़िया ट्रस्ट' स्थापित किया है। 'हवमोचन्द चोरडिया रोलिंग ट्राफी' अापके द्वारा प्रदान की जाती है। इस प्रकार आपका जीवन मेवामय है / हम अापके दीर्थ और मंगलमय जीवन की कामना करते है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org