Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ विषयानुक्रमणिका दसवाँ चरमपद प्राथमिक पाठ पृश्वियों और लोकालोक की चरमाचरमवक्तव्यता परमाणपुद्गलादि की चरमाचरमादि-वक्तव्यता संस्थान की अपेक्षा में चरमादि की प्ररूपणा गति आदि की अपेक्षा में जीवों की चरमाचरम-वक्तव्यता ग्यारहवाँ भाषापद प्राथमिक अवधारिणी एवं चविध भापा विविध पहलूग्रा से प्रजापनी भाषा की प्ररूपणा अबोध बालक-बालिका तथा उट ग्रादि की अनुपयुक्त-अपरिपक्व दशा की भाषा एकवचनादि तथा स्त्रीवचनादि से युक्त भापा की प्रज्ञापनीयता का निर्णय विविध दृष्टियों में भाषा का मर्वागीण स्वरूप पर्याप्तिका-अपर्याप्तिका भाषा और इनके भेद-प्रभेदों का निरूपण ममस्त जीवों के विषय में भापक-प्रभाषक-प्ररूपणा जीव द्वारा ग्रहणयोग्य भापाद्रव्यों के विभिन्न रूप भेद-अभद रूप में भापाद्रव्यों के नि:मरण तथा ग्रहण-नि:सरण संबंधी प्ररूपणा मोलह वचनों तथा चार भाषाजातों के आराधक-विराधक एवं अल्पबहुत्व को प्ररूपणा बारहवाँ शरीरपद प्राथमिक पाच प्रकार के शरीगे का निरूपण चौबीस दण्डकवर्ती जीवों में शरीरप्ररूपणा पांचों शरीरो के बद्ध-मक शरीरों का परिमाण नयिकों के बद्ध-मुक्त पंच शरीगे की प्ररूपणा भवनवामियों के बद्ध-मुक्त शरीरों का परिमाण एकेन्द्रियों के बद्ध-मुक्त, शरीरों की प्ररूपणा 108 द्वीन्द्रिय से पंचेन्द्रियतिर्यचों तक वद्ध-मुक्त गरीरों का परिमाण मनुष्यों के ग्रौदारिकादि शरीरों का परिमाण वाणव्यन्तर, ज्योतिप्क एवं वैमानिक देवों के वद्ध-मुक्त औदारिकादि शरीरों की प्ररूपणा 118 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org