________________ नौवां योनिपटा [521 [758 प्र. भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों की योनि क्या सचित्त होती है, अचित्त होती है अथवा मिश्रयोनि होती है ? [758 उ.] गौतम ! उनकी योनि सचित्त भी होती है, अचित्त भी होती है और मिश्र योनि भी होती है। 756. एवं जाव चरिंदिया। [756] इसी प्रकार यावत् चतुरिन्द्रिय जीवों तक (की योनि के विषय में समझना चाहिए।) 760. सम्मुच्छिमचिदियतिरिक्खजोणियाणं सम्मुच्छिममणुस्साण य एवं चेव / [760] सम्मूच्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों एवं सम्मूच्छिम मनुष्यों की योनि के विषय में इसी प्रकार समझ लेना चाहिए। 761. गम्भवक्कतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं गम्भवतियमणस्साण य नो सचित्ता, नो अचित्ता, मीसिया जोणी। [761] गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों तथा गर्भज मनुष्यों की योनि न तो सचित्त होती है और न ही अचित्त, किन्तु मिश्र योनि होती है / 762. वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं / [762] वाणव्यन्तर देवों, ज्योतिष्क देवों एवं वैमानिक देवों (की योनि के विषय में) असुरकुमारों के (योनिविषयक वर्णन के) समान ही (समझना चाहिए / ) 763. एतेसि णं भंते ! जीवाणं सचित्तजोणोणं प्रचित्तजोणोणं मीसजोणोणं अजोणीण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सध्वयोवा जीवा मोसजोणिया, अचित्तजोणिया असंखेज्जगुणा, प्रजोणिया अणंतगुणा, सचित्तजोणिया अणंतगुणा / 2 // [763 प्र.] भगवन् ! इन सचित्तयोनिक जीवों, अचित्तयोनिक जीवों, मिश्रयोनिक जीवों तथा अयोनिकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक होते हैं ? [763 उ.] गौतम ! मिश्रयोनिक जीव सबसे थोड़े होते हैं, (उनसे) अचित्तयोनिक जीव असंख्यातगुणे अधिक होते हैं, (उनसे) अयोनिक जीव अनन्तगुणे होते हैं (और उनसे भी) सचित्तयोनिक जीव अनन्तगुणे होते हैं // 2 // विवेचन-प्रकारान्तर से सचित्तादि विविधि योनियों की अपेक्षा से सर्व जीवों का विचार-~ प्रस्तुत दस सूत्रों (सू. 754 से 763 तक) में योनि के प्रकारान्तर से सचित्तादि तीन भेद बताकर, चौबीस दण्डकवर्ती जीवों के क्रम से किस जीव के कौन-कौन-सी योनियां होती हैं ? तथा कौन-सी योनि वाले जीव अल्प, बहुत या विशेषाधिक होते हैं ? इसकी चर्चा की गई है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org