________________ सप्तम उच्छ्वासपद ] इयाणं भंते ! केवतिकालस्स प्राणमंति वा पाणमंति वा जावनीससंति वा? गोयमा ! वेमायाए प्राणमंति वा जाव नीससंति वा / [667 प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) श्वासोच्छ्वास लेते हैं एवं (बाह्य) उच्छ्वास तथा निःश्वास लेते हैं ? [697 उ.] गौतम ! (पृथ्वीकायिक जीव) विमात्रा (अनियत काल) से (अन्तःस्फुरित) श्वासोच्छ्वास लेते हैं एवं (बाह्य) उच्छ्वास तथा निःश्वास लेते हैं / 668. एवं जाव मसा। [698} इसी प्रकार (अप्कायिक से लेकर) यावत् मनुष्यों तक (के आन्तरिक एवं बाह्य श्वासोच्छ्वास के विषय में जानना चाहिए / ) 666. वाणमंतरा जहा गागकुमारा / [699) वाणव्यन्तर देवों के (पान्तरिक एवं बाह्य उच्छवास और निःश्वास के विषय में) नागकुमारों के (उच्छ्वास-निःश्वास) के समान (कहना चाहिए / ) 700. जोइसिया णं भंते ! केवतिकालस्स प्राणमंति वा पाणमंति वा जाव नीससंति वा? गोयमा ! जहण्णेणं मुहत्तपुहुत्तस्स, उक्कोसेणं वि मुहत्तपुहुत्तस्स जाव नीससंति वा / [700 प्र. भगवन् ! ज्योतिष्क (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास-निःश्वास एवं (बाह्य) श्वासोच्छ्वास कितने काल से लेते हैं ? [700 उ.] गौतम ! (वे) जघन्यतः मुहर्तपृथक्त्व और उत्कृष्टतः भी मुहूर्तपृथक्त्व से (आन्तरिक और बाह्य) उच्छ्वास और निःश्वास लेते हैं / 701. वेमाणिया णं भंते ! केवइकालस्स प्राणमंति वा जाव नीससंति का? गोयमा ! जहणणं मुहत्तपुहुत्तस्स, उक्कोसेणं तेत्तीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा / 1701 प्र.] भगवन् ! वैमानिक देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास और निःश्वास लेते हैं तथा (बाह्य) उच्छ्वास एवं निःश्वास लेते हैं ? [701 उ.] गौतम ! (वे) जघन्यतः मुहूर्तपृथक्त्व में और उत्कृष्टत: तेतीस पक्ष में (आन्तरिक एवं बाह्य) उच्छ्वास तथा निःश्वास लेते हैं / 702. सोहम्मगदेवा गं भंते ! केवइकालस्स प्राणमंति वा जाव नीससंति वा। गोयमा ! जहण्णेणं मुहत्तपुहुत्तस्स, उक्कोसेणं दोहं पक्खाणं जाव नीससंति वा / [702 प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं ? Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org