________________ नौवां योमिपद] [517 [742 उ.] गौतम ! उनकी शीत योनि भी होती है, उष्ण योनि भी होती है और शीतोष्ण योनि भी होती है। ___743. एवं प्राउ-चाउ-वणस्सति-बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियाण वि पत्तेयं माणियन्वं / [743] इसी तरह अप्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों की प्रत्येक की योनि के विषय में कहना चाहिए। 744. तेउक्काइयाणं नो सीता, उसिणा, नो सोतोसिणा। [744] तेजस्कायिक जीवों की शीत योनि नहीं होती, उष्ण योनि होती है, शीतोष्ण योनि नहीं होती। 745. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कि सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी? गोयमा ! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीतोसिणा वि जोणी। [745 प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिक जीवों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है, अथवा शीतोष्ण योनि होती है ? [745 उ.] गौतम ! (उनकी) योनि शीत भी होती है, उष्ण भी होती है और शीतोष्ण भी होती है। .746. सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं एवं चेव / __ [746] सम्मूच्छिम पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों (की योनि) के विषय में भी इसी तरह (कहना चाहिए।) 747. गम्भवक्कतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कि सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ? गोयमा ! नो सोता जोणी, नो उसिणा जोणी, सीतोसिणा जोणी / [747 प्र.] भगवन् ! गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है या शीतोष्ण योनि होती है ? [747 उ.] गौतम ! उनकी न तो शीत योनि होती है, न उष्ण योनि होती है, किन्तु शीतोष्ण योनि होती है। 748. मणुस्साणं भंते ! कि सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ? गोयमा ! सोता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीतोसिणा वि जोणी। [748 प्र.] भगवन् ! मनुष्यों की क्या शीत योनि होती है, उष्ण योनि होती है, अथवा शीतोष्ण योनि होती है ? [748 उ.] गौतम ! मनुष्यों की शीत योनि भी होती है, उष्ण योनि भी होती है और शीतोष्ण योनि भी होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org