________________ 498] [ प्रज्ञापनासूत्र [702 उ.] गौतम ! जघन्य मुहूर्तपृथक्त्व में, उत्कृष्ट दो पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं / 703. ईसाणगदेवा णं भंते ! केवइकालस्स प्राणमंति वा जाव नीससंति का? गोयमा ! जहणणं सातिरेगस्स महत्तपुहत्तस्स, उक्कोसेणं सातिरेगाणं दोण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा। [703 प्र.] भगवन् ! ईशानकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं ? [703 उ.] गौतम ! (वे) जघन्यतः सातिरेक (कुछ अधिक) मुहूर्त्तपृथक्त्व में और उत्कृष्टतः सातिरेक (कुछ अधिक) दो पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं। 704. सणंकुमारदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणेणं दोण्हं पक्खाणं जाव णीससंति वा, उक्कोसेणं सत्तण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा। [704 प्र.] भगवन् ! सनत्कुमार देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं ? [704 उ.] गौतम ! वे जघन्यतः दो पक्ष में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं और उत्कृष्टत: सात पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं। 705. माहिंदगदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स प्राणमंति वा जाव नोससंति वा ? गोयमा ! जहणणं सातिरेगाणं दोण्हं पक्खाणं जाव नोससंति वा, उक्कोसेणं सातिरेगाणं सत्तण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा / 705 प्र.] भगवन् ! माहेन्द्रकल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं ? 705 उ.] गौतम ! (वे) जघन्यत: सातिरेक (कुछ अधिक) दो पक्षों में और उत्कृष्टतः सातिरेक (कुछ अधिक) सात पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं / 706. बंभलोगदेवा गं भंते ! केवतिकालस्स प्राणमंति वा जाव नोससंति वा ? गोयमा ! जहण्णेणं सत्तण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं दसहं पक्खाणं जाव नीससंति वा। [706 प्र.] भगवन् ! ब्रह्मलोककल्प के देव कितने काल से (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं ? [706 उ.] गौतम ! (वे) जघन्यतः सात पक्षों में और उत्कृष्टतः दस पक्षों में (अन्तःस्फुरित) उच्छ्वास यावत् (बाह्य) निःश्वास लेते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org