Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ छठा व्युत्क्रान्तिपद 567. पाणयदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं एग समयं, उक्कोसेणं संखेज्जा मासा / [597 प्र.] भगवन् ! प्रानतदेव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [597 उ.] गौतम ! उनका उपपातविरह काल जघन्य एक समय का तथा उत्कृष्ट संख्यात मास तक का है। 548. पाणयदेवाणं पृच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं संखेज्जा मासा / [598 प्र.] भगवन् ! प्राणतदेव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [598 उ.] गौतम ! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट संख्यात मास तक उपपात से विरहित कहे हैं। 566. प्रारणदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जा वासा / [599 प्र.] भगवन् ! पारणदेवों का उपपातविरह कितने काल का कहा गया है ? [599 उ.] गौतम ! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट संख्यात वर्ष तक (उपपातविरहित रहते हैं।) 600. अच्चुयदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जा वासा / {600 प्र.] भगवन् ! अच्युतदेव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [600 उ.] गौतम ! (उनका उपपातविरह) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट संख्यात वर्ष तक रहता है। 601. हेट्ठिमगेवेज्जाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जाई वाससताई। - [601 प्र.] भगवन् ! अधस्तन वेयक देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [601 उ.] गौतम ! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट संख्यात सौ वर्ष तक (उपपात से विरहित कहे हैं / ) 602. मज्झिमगेवेज्जाणं पुच्छा / / गोयमा ! जहणणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जाई वाससहस्साई। [602 प्र.] भगवन् ! मध्यम ग्रं वेयकदेव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org