________________ 450] [ प्रज्ञापनासूत्र 561. सणंकुमारदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं एगं समयं, उक्कोसेणं नव रातिदियाई वीसा य मुहुत्ता। [591 प्र.] भगवन् ! सनत्कुमार देवों का उपपातविरहकाल कितना कहा गया है ? [561 उ.] गौतम ! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट नौ रात्रि दिन और बीस मुहूर्त तक (उपपातविरहित कहे हैं।) 562. माहिददेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस राइंदियाई दस मुहुत्ता। [592 प्र.] भगवन् ! माहेन्द्र देवों का उपपातविरहितकाल कितना कहा गया है ? [592 उ.] गौतम ! (उनका उपपातविरहकाल) जघन्य एक समय का तथा उत्कृष्ट बारह रात्रिदिन और दस मुहूर्त का है। 563. बंभलोए देवाणं पुच्छा। . गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अद्धतेवीसं रातिदिया। [593 प्र.] भगवन् ! ब्रह्मलोक में देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [593 उ.] गौतम ! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट साढ़े बाईस रात्रिदिन तक (उपपातविरहित रहते हैं।) 594. लतगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगं समय, उक्कोसेणं पणतालीसं रातिदिया। [564 प्र.] भगवन् ! लान्तक देवों का उपपातविरह कितने काल तक का कहा गया है ? [564 उ.] गौतम ! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट पैंतालीस रात्रिदिन तक (उपपात से रहित कहे हैं / ) 565. महासुक्कदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असोति रातिदियाई। [595 प्र.] भगवन् ! महाशुक्र देवों का उपपातविरह कितने काल का कहा गया है ? [595 उ.] गौतम ! (उनका उपपातविरहकाल) जघन्य एक समय का तथा उत्कृष्ट अस्सी रात्रिदिन तक का है। 566. सहस्सारदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं रातिदियसतं / [566 प्र.] भगवन् ! सहस्रार देवों का (उपपातविरहकाल) (कितना कहा गया है) ? [566 उ.] गौतम ! जघन्य एक समय तक का तथा उत्कृष्ट सौ रात्रिदिन का (उनका उपपातविरह काल कहा गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org