________________ छठा व्युत्क्रान्तिपद ] [449 585. सम्मुच्छिममणुस्सा गं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णता? गोयमा ! जहणेणं एगं समय, उक्कोसेणं चउव्वीसं महत्ता। [585 प्र.] भगवन् ! सम्भूच्छिम मनुष्य कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [585 उ.] गौतम ! जधन्य एक समय तक और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक (उपपात से विरहित कहे हैं।) 586. गम्भवक्कलियमणुस्साणं पुच्छा। गोयमा ! जहणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता / [586 प्र.] भगवन् ! गर्भज मनुष्य कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? i [586 उ.] गौतम ! (वे) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त लक (उपपात से विरहित कहे हैं।) 587. वाणमंतराणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एणं समय, उक्कोसेणं चउन्धोसं मुहुत्ता। [587 प्र.] भगवन् ! वाणव्यन्तर देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [587 उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक (उपपात से विरहित कहे गए हैं।) 588. जोइसियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्को सेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। [588 प्र.] भगवन् ! ज्योतिष्क देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [588 उ.] गौतम ! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक (उपपातविरहित कहे हैं।) 586. सोहम्मे कप्पे देवा गं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णता ? गोयमा ! जहणणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउन्धोसं मुहत्ता / [589 प्र. भगवन् ! सौधर्मकल्प में देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे हैं ? [589 उ.] गौतम ! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक (उपपात से विरहित कहे हैं।) 560. ईसाणे कप्पे देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहणणं एग समय, उक्कोसेणं चउन्वीसं मुहुत्ता। [560 प्र] गौतम ! ईशानकल्प में देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [590 उ.] गौतम ! (वे) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक (उपपात से विरहित कहे गए हैं / ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org