Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ छठा व्युत्क्रान्तिपद] [447 [573 उ ] गौतम ! जघन्यतः एक समय तक और उत्कृष्टतः दो मास तक (उपपात से विरहित होते हैं / ) 574. तमापुढविनेरइया णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णता ? गोयमा ! जहणणं एग समयं, उक्कोसेणं चत्तारि मासा / [574 प्र. भगवन् ! तमःप्रभापृथ्वी के नारक कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [574 उ.] गौतम ! (वे) जघन्यतः एक समय तक और उत्कृष्टत: चार मास तक (उपपात-विरहित रहते हैं / ) 575. अधेसत्तमापुढविनेरइया णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णता? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा / [575 प्र.] भगवन् ! सबसे नीची तमस्तमा नामक सप्तम पृथ्वी के नैरयिक कितने काल तक उपपात से रहित कहे गए हैं ? [575 उ.] गौतम ! वे एक समय तक और उत्कृष्ट छह मास तक (उपपात से विरहित रहते हैं / ) 576. असुरकुमारा णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णता? गोयमा ! जहणणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। [876 प्र.] भगवन् ! असुरकुमार कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [576 उ.] गौतम ! (बे) जघन्यतः एक समय तक और उत्कृष्टत: चौबीस मुहूर्त तक (उपपातविरहित रहते हैं / ) 577. णागकुमारा गं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णता? गोयमा ! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। [577 प्र.] भगवन् ! नागकुमार कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [577 उ. गौतम ! (उनका उपपातविरहकाल) जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त का है। 578. एवं सुवण्णकुमाराणं विज्जुकुमाराणं अग्गिकुमाराणं दीवकुमाराणं उदहिकुमाराणं दिसाकुमाराणं वाउकुमाराणं थणियकुमाराण य पत्तेयं पत्तेयं जहणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउन्धोसं मुहुत्ता। [578 / इसी प्रकार सुपर्ण (सुवर्ण) कुमार, विद्युत्कुमार, अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, दिशाकुमार, वायुकुमार और स्तनितकुमार देवों का प्रत्येक का उपपातविरहकाल एक समय का तथा उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त का है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org