________________ छठा व्युत्क्रान्तिपव [ 461 [639-6 प्र.] भगवन् ! यदि गर्भज जलचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से (नारक) उत्पन्न होते हैं, तो क्या पर्याप्तक-गर्भज-जलचर-पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, (अथवा) अपर्याप्तकगर्भजजलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं ? [336-6 उ.] गौतम ! (वे) पर्याप्तक-गर्भज-जलचर-पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) अपर्याप्तकगर्भ-जजलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से नहीं उत्पन्न होते / [7] जइ थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिहितो उववज्जति कि चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जंति, परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जति / |639-7 प्र.] (भगवन !) यदि (वे) स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ?, (अथवा) परिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्प [636-7 उ ] गौतम ! (वे) चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से भी उत्पन्न होते हैं और परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से भी उत्पन्न होते हैं / [8] जदि चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति कि सम्मुच्छिमेहितो उववज्जति ? गम्भवक्कतिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! सम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जंति, गमवक्कतियचउप्पएहितो वि उववज्जति / [636-8 प्र.] भगवन् ! यदि चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं, तो क्या सम्मूच्छिम-चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों से उत्पन्न होते हैं ? अथवा गर्भज-स्थल चरपंचेन्द्रिय-तियंञ्चों से उत्पन्न होते हैं ? [639-8 उ.] गौतम ! (वे) सम्मूच्छिम-चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से भी उत्पन्न होते हैं, और गर्भज-चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से भी उत्पन्न होते हैं। [6] जइ सम्मुच्छिमचउप्पएहितो उवयज्जति कि पज्जत्तगसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदिएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तगसम्मुच्छिमचउम्पयथलयरपंचेंदिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तहितो उववज्जंति, नो अपज्जत्तगसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति। [639-9 प्र.] (भगवन् ! ) यदि सम्मूच्छिम-चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं, तो क्या पर्याप्तक-सम्मूच्छिम-चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, अथवा अपर्याप्तक-सम्मूच्छिम-चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org