________________ छठा व्युत्क्रान्तिपद ] [ 465 - [16] जति खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं सम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गम्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! दोहितों वि उववज्जति / [639-16 प्र.] (भगवन् ! ) यदि खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं, तो क्या सम्मूच्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं, या गर्भज खेचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ? [639-16 उ. गौतम ! दोनों से (सम्मूच्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से तथा गर्भज खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से) उत्पन्न होते हैं। [20] जति सम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पज्जत्तएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तएहिंतो उबवज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तएहितो उववज्जंति, नो अपज्जत्तएहितो उववज्जति / [639-20 प्र.] (भगवन् !) यदि सम्मूच्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं. तो क्या (3) पर्याप्तक सम्मच्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्प अथवा अपर्याप्तक सम्मूच्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ? [636-20 उ.] गौतम ! (वे) पर्याप्तक सम्मूच्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) अपर्याप्तक सम्मूच्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न नहीं होते। [21] जति गम्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं संखिज्जवासाउएहितो उववज्जति ? असंखेज्जवासाउएहितो उववज्जति ? गोयमा ! संखिज्जवासाउएहितो उववज्जति, नो असंखेज्जवासाउएहितो उववज्जति / [636-21 प्र.] (भगवन् ! ) यदि (वे) गर्भज खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या संख्यातवर्षायुष्क गर्भज खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, अथवा असंख्यातवर्षायुष्क गर्भज खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ? [636-21 उ.] गौतम ! (वे) संख्यातवर्ष की आयु वाले गर्भज खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) असंख्यातवर्षायुष्क गर्भज खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न नहीं होते। [22] जति संखेज्जवासाउयगम्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पज्जत्तएहिंतो उववज्जति ? अपज्जत्तएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तएहिंतो उववजंति, नो अपज्जत्तएहितो उक्वज्जति / [639-22 प्र.] (भगवन् ! ) यदि (वे) संख्यातवर्षायुष्क गर्भज खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क गर्भज खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org