________________ छठा व्युत्क्रान्तिपद [463 होते हैं, तो क्या उर:परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, (अथवा) भुजपरिसर्प स्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ? [639-12 उ.] गौतम ! वे दोनों से ही–अर्थात् - उर:परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों से भी उत्पन्न होते हैं, और भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों से भी उत्पन्न होते हैं। [13] जदि उरपरिसप्पयलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उवज्जति कि सम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? गम्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! सम्मुच्छिमेहितो वि उववज्जति, गब्भवक्कतिहितो वि उववज्जंति / [639-13 प्र.] भगवन् ! यदि उरःपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं, तो क्या सम्मूच्छिम-उरःपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चों से उत्पन्न होते हैं, अथवा गर्भज-उर परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ? [639-13 उ.] गौतम ! (वे) सम्मूच्छिम-उर:परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से भी उत्पन्न होते हैं और गर्भज-उरःपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से भी उत्पन्न होते हैं। [14] जति सम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति कि पज्जत्तरोहितो उववज्जंति ? अपज्जत्तहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तगसम्मुच्छिमेहितो उववज्जंति, नो अपज्जत्तगसम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति / __[639-14 प्र.] भगवन् ! यदि (वे) सम्मूच्छिम-उर:परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या पर्याप्तक-सम्मूच्छिम-उर:परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, अथवा अपर्याप्तक-सम्मूच्छिम-उरःपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ? . [639-14 उ.] गौतम ! (वे) पर्याप्तक-सम्मूच्छिम-उरःपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) अपर्याप्तक-सम्मूच्छिम-उर:परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यगयोनिकों से उत्पन्न नहीं होते। [15] जति गम्भवपकंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएहितो उबवज्जति कि पज्जत्तएहितो? अपज्जत्तएहितो? __ गोयमा ! पज्जत्तगगम्भवक्कतिरहितो उववज्जंति, नो अपज्जत्तगगब्भवक्कंतिउरपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति / [636-15 प्र.] (भगवन् ! ) यदि (वे) गर्भज-उर:परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या (वे) पर्याप्तक-गर्भज-उर:परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, या अपर्याप्तक गर्भज-उर:परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org