Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ चतुर्थ स्थितिपद] [ 337 [409-3 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम को और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम दो सागरोपम की है। 410. [1] सोहम्मे कप्पे देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं पलिम्रोवम, उक्कोसेणं पण्णासं पलिप्रोवमाई। [410-1 प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में देवियों को स्थिति कितने काल की कही गई है ? [410-1 उ.] गौतम ! जधन्य एक पल्योपम को है और उत्कृष्ट पचास पल्योपमों की है / [2] सोहम्मे कप्पे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा / गोयमा जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं / ' __ [410-2 प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [410-2 उ.] गौतम ! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है / [3] सोहम्मे कप्पे पज्जत्तियाणं देवोणं पुच्छा / गोयमा ! जहण्णेणं पलिग्रोवमं अंतोमुहुतूणं उक्कोसेणं पण्णासं पलि ग्रोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई। 410-3 प्र. भगवन् ! सौधर्मकल्प की पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल को कही गई है ? [410-3 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचास पल्योपमों की है। 411. [1] सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा / गोयमा ! जहण्णणं पलिग्रोवम, उक्कोसेणं सत्त पलिग्रोवमाई / [411-1 प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में परिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [411-1 उ.] गौतम ! जघन्य एक पल्योपम को और उत्कृष्ट सात पल्योपम की है। [2] सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं / [411-2 प्र.) भगवन् ! सौधर्मकल्प में परिगृहीता अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [411-2 उ.] गौतम ! जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की है। [3] सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं पलिग्रोवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं सत्त पलि प्रोवमाइं अंतोमुत्तूणाई। 1. ग्रन्धानम् 2500 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org