________________ 444] [प्रज्ञापनासूत्र 563. देवगती गं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णता ? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता। [563 प्र.] भगवन् ! देवगति कितने काल तक उपपात से विरहित कही गई है ? [563 उ.] गौतम ! (देवगति का उपपातविरहकाल) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त तक का है / 564. सिद्धगती णं भंते ! केवतियं कालं विरहिता सिझणयाए पण्णता? गोयमा ! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा / [564 प्र.] भगवन् ! सिद्धगति कितने काल तक सिद्धि से रहित कही गई है ? [564 उ.] गौतम ! (सिद्धगति का सिद्धिविरहित काल) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट छह महीनों तक का है / 565. मिरयगती णं भंते ! केवतियं कालं विरहिता उव्वट्टणयाए पण्णता? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुता। [565 प्र.] भगवन् ! नरकगति कितने काल तक उद्वर्त्तना से विरहित कही गई है ? [565 उ.] गौतम ! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त तक (उद्वर्तना से विरहित रहती है।) 566. तिरियगती णं भंते ! केवतियं कालं विरहिता उठबट्टणयाए पण्णता? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समय, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता। [566 प्र.] भगवन् ! तिर्यञ्चगति कितने काल तक उद्वर्तना से विरहित कही गई है ? [566 उ.] गौतम ! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त तक (उद्ववर्तनाविरहित रहती है।) 567. मणुयगती णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उव्वट्टणाए पण्णता? गोयमा ! जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता। [567 प्र.] भगवन् ! मनुष्यगति कितने काल तक उद्वर्त्तना से विरहित कही गई है ? [567 उ.] गौतम ! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त तक (उद्वर्तना से विरहित कही गई है।) 568. देवगती णं भंते ! केवतियं कालं विरहिता उब्वट्टणाए पण्णता? गोयमा ! जहण्णणं एग समयं, उक्कोसेणं बारस मुत्ता / दारं 1 // [568 प्र.] भगवन् ! देवगति कितने काल तक उद्वर्तना से विरहित कही गई है ? [568 उ.] गौतम ! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त तक (उद्वर्त्तना से विरहित रहती है / ) प्रथम द्वार // 1 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org