Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 348 1 [ प्रज्ञापनासून [429.2 उ.] गौतम ! जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की है। [3] हेदिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जताणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं च उवासं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं पणवीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई। [426-3 प्र.] भगवन् ! अधस्तन-उपरितन अवेयक पर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [426-3 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम चौवीस सागरोपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पच्चीस सागरोपम की है। 430. [1] मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं पणुवीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं छब्बीसं सागरोवमाई। [430.1 प्र.] भगवन् ! मध्यम-अधस्तन (बीच के त्रिक में सबसे निचले) ग्रैवेयक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [430-1 उ.] गौतम ! जघन्य पच्चीस सागरोपम की और उत्कृष्ट छब्बीस सागरोपम की है। [2] मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जगदेवाणं अपज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुत्तं। [430.2 प्र.] भगवन् ! मध्यम-अधस्तन ग्रेवेयक अपर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल तक कही गई है ? [430-2 उ.] गौतम ! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [3] मज्झिमहे टिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा! जहणेणं पणुवीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं छन्वीसं सागरोधमाई अंतोमुत्तूणाई। [430-3 प्र] भगवन् ! मध्यम-अधस्तन ग्रैवेयक पर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल तक की कही है ? [430-3 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पच्चीस सागरोपम की तथा उत्कृष्ट अन्तमुहूर्त कम छब्बीस सागरोपम की है। 431. [1] मज्झिममज्झिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं छब्बीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं सत्तावीसं सागरोवमाइं। [431.1 प्र.] भगवन् ! मध्यम-मध्यम (बीच के त्रिक के बिचले) ग्रैवेयक देवों की स्थिति कितने काल तक कही गई है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org