Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 268 ] [ प्रज्ञापनासूत्र 316. खताणुवाएणं सम्वत्थोवा वाउकाइया उड्ढलोयतिरियलोए 1, अधेलोयतिरियलोए विसेसाहिया 2, तिरियलोए असंखज्जगुणा 3, तेलोक्के असंखज्जगुणा 4, उड्ढलोए असंख ज्जगुणा 5, अधेलोए विसेसाहिया 6 / 316] क्षेत्र के अनुसार 1. सबसे अल्प वायुकायिक जीव अर्वलोक-तिर्यक्लोक हैं, 2. अधोलोक-तिर्यक्लोक में (इनसे) विशेषाधिक हैं, 3. तिर्यक्लोक में (इनसे) असंख्यातगुणे हैं, 4. त्रैलोक्य में (इनसे) असंख्यातगुणे हैं, 5. (इनसे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं, 6. और (इनसे भी) विशेषाधिक अधोलोक में हैं। 317. खत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया अपज्जत्तया उड्ढलोयतिरियलोए 1, अधे. लोयतिरियलोए विसेसाहिया 2, तिरियलोए असंखज्जगुणा 3, तेलोक्के असंखज्जगुणा 4, उड्ढलोए असंखज्जगुणा 5, अधेलोए विसेसाहिया 6 / [317] क्षेत्र की अपेक्षा से 1. वायुकायिक-अपर्याप्तक जीव सबसे कम ऊर्ध्वलोक-तिर्यकलोक में है, 2. अधोलोक-तिर्यक्लोक में (उनकी अपेक्षा) विशेषाधिक हैं, 3. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, 4. त्रैलोक्य में अर्थात् तीनों लोकों का स्पर्श करने वाले जीव (उनकी अपेक्षा) असंख्यातगुणे हैं, 5. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं और 6. (उनकी अपेक्षा भी) अधोलोक में विशेषाधिक हैं। 318. खे ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया पज्जतया उड्ढलोयतिरियलोए 1, अधेलोयतिरियलोए विसेसाहिया 2, तिरियलोए असंखज्जगुणा 3, तेलोक्के असंखज्जगुणा 4, उड्ढलोए असंखज्जगुणा 5, अधेलोए विसेसाहिया 6 / 318] क्षेत्र की अपेक्षा से 1. सबसे थोड़े वायुकायिक-पर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, 2. अधोलोक-तिर्यक्लोक में (इनकी अपेक्षा) विशेषाधिक हैं, 3. (इनकी अपेक्षा) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुण है, 4. (इनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, 5. (इनकी अपेक्षा) असंख्यातगुणे ऊर्ध्वलोक में हैं और (इनकी अपेक्षा भी) 6. अधोलोक में विशेषाधिक हैं। 316. खताणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया उड्ढलोयतिरियलोए 1, अधेलोयतिरियलोए विसेसाधिया 2, तिरियलोए असंखज्जगुणा 3, तेलोक्के असंख ज्जगुणा 4, उड्ढलोए असंखज्जगुणा 5, अधेलोए विसेसाधिया 6 / [319] क्षेत्र के अनुसार 1. सबसे अल्प वनस्पतिकायिक जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, 2. (उनसे) विशेषाधिक अधोलोक-तिर्यक्लोक में हैं, 3. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, 4. त्रैलोक्य में (उनसे) असंख्यातगुणे हैं, 5. ऊर्ध्व लोक में (उनकी अपेक्षा) असंख्यातगुणे हैं, 6. और अधोलोक में ( उनसे भी) विशेषाधिक हैं। 320. खत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया अपज्जत्तया उड्ढलोयतिरियलोए 1, अधो ito ino w संखे ज्जगुणा 5, अधेलोए विसेसाहिया 6 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org