Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________ 318 [प्रज्ञापनासूत्र [375-2 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [3] पज्जत्तयजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुस्खकोडी अंतोमुत्तूणा। [375-3 प्र.] भगवन् ! पर्याप्त जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [375-3 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त को और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पूर्वकोटि की है। 376. [1] सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा / गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी। [376-1 प्र.] भगवन् ! सम्मूच्छिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [376-1 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की है / [2] अपज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा / गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुत्तं / [376-2 प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त सम्मूच्छिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [376-2 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [3] पज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तूणा / [376-3 प्र.] भगवन् ! पर्याप्त सम्मूच्छिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [376-3 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पूर्वकोटि की है। 377. [1] गम्भवतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा / गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी / [377-1 प्र.] भगवन् ! गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [377-1 उ.] गौतम ! उनकी जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट पूर्वकोटि (करोड़ पूर्व) को है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org