Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ चतुर्य स्थितिपद ] [ 331 .. [399-1 उ.] गौतम ! जघन्य पल्योपम के चौथाई भाग की और उत्कृष्ट एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की है। [2] सूरविमाणे अपज्जत्तदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं / [399-2 प्र.] भगवन् ! सूर्य विमान में अपर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [399-2 उ.] गौतम ! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तमुहूर्त की है / [3] सूरविमाणे पज्जत्तदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं चउभागपलिपोवमं अंतोमुत्तूणं, उक्कोसेणं पलिप्रोवमं वाससहस्समभहियं अंतोमुत्तूणं / [399-3 प्र.] भगवन् ! सूर्यविमान में पर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [399-3 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के चतुर्थभाग की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की है / 400. [1] सूरविमाणे देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं चउभागलिनोवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिनोवम पंचहि वाससतेहिमभहियं / [400-1 प्र.] भगवन् ! सूर्यविमान में देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [400-1 उ.] गौतम ! (उनकी स्थिति) पल्योपम के चतुर्थभाग की है और उत्कृष्ट पांच सौ वर्ष अधिक अर्द्धपल्योपम की है। [2] सरविमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोधमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं / ___ [400-2 प्र.] भगवन् ! सूर्यविमान में अपर्याप्त देवियों की स्थिति कितने काल की कहो गई है ? ' / [400-2 उ.] गौतम ! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [3] सूरविमाणे पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं चउभागपलिप्रोवमं अंतोमुत्तूणं, उक्कोसेणं प्रद्धपलिनोवमं पंचहि वाससतेहिं अमहियं अंतोमुहुत्तूणं। विमान में पर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल की कही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org