Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ [प्रज्ञापनासूत्र [404-2 उ.] गौतम ! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [3] नक्खत्तविमाणे पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिनोवमं अंतोमहत्तूणं, उक्कोसेणं सातिरेगं चउभागलिनोवमं अंतोमुत्तूणं। [404-3 प्र.] भगवन् ! नक्षत्रविमान में पर्याप्त देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है? [404-3 उ.] गौतम ! जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त कम चौथाई पल्योपम की है और उत्कृष्ट अन्तमुहूर्त कम पल्योपम के चौथाई भाग से कुछ अधिक की है। 405. [1] ताराविमाणे देवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणेणं अट्ठभागपलिप्रोवम, उक्कोसेणं चउभागपलिम्रोवमं / [405-1 प्र.] भगवन् ! ताराविमान में देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [405.1 उ.] गौतम ! जघन्य पल्योपम के आठवें भाग की और उत्कृष्ट चौथाई पल्योपम की है। [2] ताराविमाणे अपज्जत्तदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं / [405-2 प्र.] भगवन् ! ताराविमान में अपर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल की कही [405-2 उ.] गौतम ! (उनकी स्थिति) जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [3] ताराविमाणे पज्जत्तदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं अट्ठभागपलिग्रोवमं अंतोमुत्तूणं, उक्कोसेणं चउमागपलिग्रोवमं अंतोमुहुत्तूणं। [405-3 प्र.] भगवन् ! ताराविमान में पर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल की कही [405.3 उ.] गौतम ! जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम का आठवाँ भाग है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम चौथाई पल्योपम की है। 406. [1] ताराविमाणे देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं अट्ठभागपलिओवमं, उक्कोसेणं सातिरेगं अटुभागपलिप्रोवमं / [406-1 प्र] भगवन् ! तारा विमान में देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [406-1 उ.] गौतम ! जघन्य पल्योपम का आठवाँ भाग और उत्कृष्ट पल्योपम के आठवें भाग से कुछ अधिक की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org