Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ चतुर्थ स्थितिपद] [ 303 . [3] पज्जत्तयभवणवासीणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहणेणं दस वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोयम अंतोमुहुत्तूणाई। [345-3 प्र.] भगवन् ! पर्याप्तक भवनवासी देवों को कितने काल तक की स्थिति कही गई है ? [345-3 उ.] गौतम ! उनकी स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम कुछ अधिक सागरोपम की है। 346. [1] भवणवासिणीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठितो पण्णता ? गोयमा ! जहण्णणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं श्रद्धपंचमाई पलिग्रोवमाई। [346-1 प्र.] भगवन् ! भवनवासी देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [346-1 उ.] गौतम! जघन्य दस हजार वर्ष की है और उत्कृष्ट साढ़े चार पल्योपम की है ? [2] अपज्जत्तियाणं भंते ! भवणवासिणीणं देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुत्तं / [346-2 प्र.] भगवन् ! अपर्याप्तक भवनवासी देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही है ? [346-2 उ.] गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [3] पज्जत्तियाणं भंते ! भवणवासिणीणं देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं श्रद्धपंचमाई पलिग्रोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई। [346-3 प्र.] भगवन् ! पर्याप्तकभवनवासी देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही [346-3 उ.] गौतम ! (उनकी स्थिति) जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की, और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम साढ़े चार पत्योपम की है। 347. [1] असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं / [347-1 प्र.] भगवन् ! असुरकुमार देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [347-1 उ.] गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट कुछ अधिक सागरोपम की है। .. [2] अपज्जत्तयअसुरकुमाराणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org