Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद] [281 से) असंख्यातगुणे हैं, 4. दक्षिणपूर्व और उत्तरपश्चिम, दोनों में तुल्य हैं तथा (पूर्वोक्त दो दिशाओं से) विशेषाधिक हैं, 5. (उनकी अपेक्षा) पूर्व में असंख्यातगुणे हैं, 6. (उनकी अपेक्षा) पश्चिम में विशेषाधिक हैं, 7. (उनसे) दक्षिण में विशेषाधिक हैं, 8. (और उनकी अपेक्षा भी) उत्तर में विशेषाधिक हैं। 330. एतेसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं संखज्जपदेसियाणं असंखोज्जपदेसियाणं अणंतपदेसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए पदेसट्टयाए दवट्ठपदेसट्टताए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सम्वत्थोवा प्रणंतपदेसिया खधा दवट्टयाए 1, परमाणुपोग्गला दन्वट्ठताए अणंतगुणा 2, संखज्जपदेसिया खधा दवट्ठयाए संख ज्जगुणा 3, असंखज्जपएसिया खंघा दबद्वयाए असंखज्जगुणा 4; पदेसट्टयाए–सम्वत्थोवा प्रणेतपदेसिया खधा पएसयाए 1, परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए अणंतगुणा 2, संखज्जपदेसिया खधा पदेसट्टयाए संखज्जगुणा 3, असंखज्जपदेसिया खधा पएसट्टयाए असंखज्जगुणा 4; दवटुपदेसट्टयाए-सम्वत्थोवा अणंतपदेसिया खधा दवट्टयाए 1, ते चेव पदेसट्टयाए अणंतगुणा 2, परमाणुपोग्गला दव्वटुप्रपदेसटुयाए अणंतगुणा 3, संखेज्जपएसिया खधा दवट्ठयाए संख जगुणा 4, ते चेव पदेसट्टयाए संख जगुणा 5, असंखज्जपदेसिया खधा दव्वट्ठयाए असंखज्जगुणा 6, ते चेव पएसट्टयाए प्रसंखज्जगुणा 7 / [320 प्र.] भगवन् ! इन 1. परमाणुपुद्गलों तथा 2. संख्यातप्रदेशिक, 3. असंख्यातप्रदेशिक और 4. अनन्तप्रदेशिक स्कन्धों में से द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से, और द्रव्य एवं प्रदेशों की अपेक्षा से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? 330 उ.] गौतम ! 1. सबसे थोड़े द्रव्य की अपेक्षा से अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध हैं, 2. (उनकी अपेक्षा) परमाणुपुद्गल द्रव्य की अपेक्षा से अनन्तगुणे हैं, 3. (उनकी अपेक्षा) संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा से संख्यातगुणे हैं, 4. (उनकी अपेक्षा) असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं। प्रदेशों की अपेक्षा से अल्पबहुत्व-१. सबसे कम अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध प्रदेशापेक्षया हैं, 2. (उनकी अपेक्षा) परमाणुपुद्गल अप्रदेशों की अपेक्षा से अनन्तगुणे हैं, 3. (उनकी अपेक्षा) संख्यातप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशों की अपेक्षा से संख्यातगुणे हैं, 4. (उनकी अपेक्षा) असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशों की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं। द्रव्य एवं प्रदेशों की अपेक्षा से अल्पबहुत्व-१. सबसे अल्प, द्रव्य की अपेक्षा से अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध हैं, 2. (उनकी अपेक्षा) वे (अनन्तप्रदेशी स्कन्ध) ही प्रदेशों को अपेक्षा से अनन्तगुणे हैं, 3. (उनकी अपेक्षा) परमाणुपुद्गल, द्रव्य एवं अप्रदेश की अपेक्षा से अनन्तगुणे हैं, 4. (उनकी अपेक्षा) संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, द्रव्य की अपेक्षा से संख्यातगुणे हैं, 5. (उनकी अपेक्षा) वे (संख्यातप्रदेशी स्कन्ध) ही प्रदेशों की अपेक्षा से संख्यातगुणे हैं, 6. (उनसे) असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं, 7. वे (असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध) प्रदेशों की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं। 331. एतेसि णं भंते ! एगपदेसोगाढाणं संखज्जपएसोगाढाणं असंखज्जपएसोगाढाण य पोग्गलाणं दवढयाए पदेसट्टयाए दवटुपदेसटुताए कतरे कतरेहितो प्रप्या वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org