Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 228] [प्रज्ञापनासून [245-2 प्र.] भगवन् ! इन बादर पृथ्वीकायिक-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [245-2 उ.) गौतम ! सबसे थोड़ें बादर पृथ्वीकायिक-पर्याप्तक हैं, (उनसे) बादर पृथ्वीकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणें हैं। [3] एतेसि णं भंते ! बादरप्राउकाइयाणं पजत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया था ? गोयमा ! सम्वत्थोवा बादरप्राउकाइया पज्जत्तगा, बादरग्राउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा। [245-3 प्र.] भगवन् ! इन बादर अप्कायिक-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [245-3 उ.] गौतम ! सबसे कम बादर अप्कायिक-पर्याप्तक हैं, (उनसे) बादर अप्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। [4] एतेसि णं भंते ! बादरतेउकाइयाणं पज्जताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सम्वत्थोवा बादरतेउकाइया पज्जत्तया, बादरतेउक्काइया अपज्जत्तया असंखेज्ज गुणा। [245-4 प्र.] भगवन् ! इन बादर तेजस्कायिक-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [245-4 उ.] गौतम ! सबसे अल्प बादर तेजस्कायिक-पर्याप्तक हैं, (उनसे) बादर तेजस्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। [5] एतेसि णं भंते ! बादरवाउकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो प्रप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सस्वत्थोवा बादरवाउकाइया पज्जत्तगा, बादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा। [245-5 प्र.] भगवन् ! इन बादर वायुकायिक-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? [245-5 उ.] गौतम ! सबसे अल्प बादर वायुकायिक-पर्याप्तक हैं और (उनसे) बादर वायुकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। [6] एतेसि णं भंते ! बादरवणप्फइकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरोहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org