Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद [265 302] क्षेत्र की अपेक्षा से 1. सबसे थोड़े चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, 2. (उनसे) ऊर्ध्व लोक-तिर्यक्लोक में असंख्यात गुणे हैं, 3. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, 4. (उनसे) अधोलोक-तिर्यकुलोक में असंख्यातगुणे हैं, 5. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, 6. और (उनसे भी) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं / 303. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा चरिदिया जीवा पज्जत्तया उड्ढलोए 1, उड्ढलोयतिरिय लोए असंखेज्जगुणा 2, तेलोक्के असंखेज्जगुणा 3, पहेलोयतिरियलोए प्रसंखेज्जगुणा 4, अहोलोए संखेज्जगुणा 5, तिरियलोए संखेज्जगुणा 6 / ___ [303] क्षेत्र की अपेक्षा से 1. सबसे कम चतुरिन्द्रिय-पर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, 2. (उनसे) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक् लोक में असंख्यातगुणे हैं, 3. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, 4. (उनसे) अधोलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, 5. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुण हैं, 6. और (उनकी अपेक्षा भी) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं। 304. खेत्ताणवातेणं सम्वत्थोवा पंचिदिया तेलोक्के 1, उड्ढलोयतिरियलोए संखज्जगणा 2, अधोलोयतिरियलोए संखज्जगुणा 3, उड्ढलोए संखज्जगुणा 4, अधेलोए संखज्जगुणा 5, तिरियलोए असंख ज्जगुणा 6 / / [304] क्षेत्र की अपेक्षा से 1. सबसे अल्प पंचेन्द्रिय त्रैलोक्य में हैं, 2. (उनसे) ऊर्ध्वलोकतिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, 3. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुण हैं, 4. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में संख्यातगुणे हैं, 5. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं और 6. (उनकी अपेक्षा भो) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं। 305. खेत्ताणवाएणं सव्वत्थोवा पंचिदिया अपज्जत्तया तेलोक्के 1, उड्ढलोयतिरियलोए संखज्जगुणा 2, प्रधेलोयतिरियलोए संखज्जगुणा 3, उड्ढलोए संख ज्जगुणा 4, अधेलोए संखज्जगुणा 5, तिरियलोए असंखज्जगुणा 6 / / [305] क्षेत्र की अपेक्षा से 1. सबसे कम पंचेन्द्रिय-अपर्याप्तक त्रैलोक्य में हैं, 2. (उनकी अपेक्षा) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, 3. (उनसे) अधोलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, 4. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में संख्यातगुणे हैं, 5. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, और 6. (उनकी अपेक्षा भी) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं। 306. खताणुवाएणं सव्वत्थोवा पंचिदिया पज्जत्तया उड्ढलोए 1, उड्ढलोयतिरियलोए असंखज्जगुणा 2, तेलोक्के संखज्जगुणा 3, अधोलोयतिरियलोए संखज्जगुणा 4, अधेलोए संखज्ज.. गुणा 5, तिरियलोए असंख ज्जगुणा 6 / [306) क्षेत्र की अपेक्षा से 1. सबसे थोड़े पंचेन्द्रिय-पर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, 2. (उनसे) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, 3. (उनकी अपेक्षा) त्रैलोक्य में संख्यातगुणे हैं, 4. (उनसे) अधोलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, 5. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं 6. और (उनकी अपेक्षा भी) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org