Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद ] [ 229 गोयमा सम्वत्थोवा बादरवणप्फइकाइया पज्जत्तगा, बादरवणफइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा / [245-6 प्र.] भगवन् ! इन बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? [245-6 उ.] गौतम ! सबसे कम बादर वनस्पतिकायिक-पर्याप्तक हैं, (उनसे) बादर वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुण हैं। [7] एतेसि णं भंते ! पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया था ? गोयमा ! सम्वत्थोवा पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइया पज्जत्तगा, पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइया अपज्जत्तगा प्रसंखेज्जगुणा। [245-7 प्र.] भगवन् ! प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [245-7 उ.] गौतम ! सबसे थोड़े प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक-पर्याप्तक हैं, (उनसे) प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं / [8] एतेसि णं भंते ! बादरनिगोदाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया का तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवा बादरनिगोदा पज्जत्तगा, बादरनिगोदा अपज्जत्तगा प्रसंखेज्जगुणा / [245-8 प्र.] भगवन् ! इन बादर निगोद-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? [245-8 उ.गौतम ! सबसे अल्प बादर निगोद-पर्याप्तक हैं, (उनसे) असंख्यातगुणे बादर निगोद-अपर्याप्तक हैं। [6] एएसि णं भंते ! बादरतसकाइयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सम्वत्थोवा बादरतसकाइया पज्जत्तगा, बादरतसकाइया अपज्जत्तगा प्रसंखेज्जगुणा। [245.9 प्र.] भगवन् ! इन बादर सकायिक-पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? _ [245-9 उ.] गौतम ! सबसे कम बादर त्रसकायिक-पर्याप्तक हैं (और उनसे) बादर सकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org