Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद ] [ 253 - गोयमा ! धम्मत्यिकाए अधम्मस्थिकाए य एते णं दो वि तुल्ला पदेसट्टयाए सव्वत्थोवा 1, जीवत्यिकाए पदेसटुताए अणंतगुणे 2, पोग्गलस्थिकाए पदेसट्टयाए अणंतगुणे 3, श्रद्धासमए पदेसट्टयाए अणंतगुणे 4, पागासत्थिकाए पदेसट्टताए अणंतगुणे 5 / [271 प्र. हे भगवन् ! धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय और अद्धासमय ; इन (द्रव्यों) में से प्रदेश की अपेक्षा से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [271 उ.] गौतम ! 1. धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय, ये दोनों प्रदेशों की अपेक्षा से तुल्य हैं और सबसे थोड़े हैं, 2. (इनकी अपेक्षा) जीवास्तिकाय प्रदेशों की अपेक्षा से अनन्तगुण है, 3. (इसकी अपेक्षा) पुद्गलास्तिकाय प्रदेशों की अपेक्षा से अनन्तगुण है, 4. (इसकी अपेक्षा) प्रद्धा-समय (काल) प्रदेशापेक्षया अनन्तगुण है; 5. (इससे) आकाशास्तिकाय प्रदेशों की दृष्टि से अनन्तगुण है। 272. [1] एतस्स णं भंते ! धम्मस्थिकायस्स दवट्ठ-पदेसद्वताए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुंया वा तुल्ला वा विसे साहिया वा ? गोयमा ! सव्वस्थोवे एगे धम्मस्थिकाए दवट्ठताए, से चेव पदेसटुताए असंखेज्जगुणे / {272-1 प्र.] भगवन् ! इस धर्मास्तिकाय के द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? [272-1 उ.] गौतम ! 1. सबसे अल्प द्रव्य की अपेक्षा से एक धर्मास्तिकाय (द्रव्य) है और 2. वही प्रदेशों की अपेक्षा से असंख्यातगुणा है। [2] एतस्स णं भंते ! अधम्मस्थिकायस्स दव्वट्ठ-पदेसट्टताए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा बिसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवे एगे प्रधम्मत्थिकाए दव्वट्ठताए, से चेव पदेसटुताए असंखेज्जगुणे / [172-1 प्र.] भगवन् ! इस अधर्मास्तिकाय के द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? [272-2 उ.] गौतम ! 1. सबसे अल्प द्रव्य की अपेक्षा से एक अधर्मास्तिकाय (द्रव्य) है; और 2. वही प्रदेशों की अपेक्षा से असंख्यातगुणा है / [3] एतस्स णं भंते ! मागासस्थिकायस्स दव्वटु-पदेसटुताए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सब्वत्थोवे एगे पागासत्थिकाए दवद्वताए, से चेव पदेसद्वताए अणंतगुणे / [272-3 प्र.] भगवन् ! इस आकाशास्तिकाय के द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? [272-3 उ.] गौतम ! 1. सबसे अल्प द्रव्य की अपेक्षा से एक आकाशास्तिकाय (द्रव्य) है और 2. वही प्रदेशों की अपेक्षा से अनन्तगुण है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org