________________ प्रथम प्रज्ञापनापद ] [ 101 130. से किं तं केवलिखीणकसायवीतरागचरित्तारिया ? केवलिखीणकसायवीतरागचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा–सजोगिकेवलिखीणकसायबीयरागचरित्तारिया य प्रजोगिकेवलिखोणकसायवीतरागचरित्तारिया य / [130 प्र.] केवलि-क्षीणकषायवीतराग-चारित्रार्य कौन हैं ? [130 उ.] केवलि-क्षीणकषायवीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं-सयोगिकेवलिक्षीणकषायवीतराग-चारित्रार्य और अयोगिकेवलि-क्षीणकषायवीतराग-चारित्रार्य / 131. से कि तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागचरित्तारिया ? सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागचरित्तारिया दुविहा पण्णता। तं जहा-पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य, अहया चरिमसमयसजोगिकेबलिखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य प्रचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य / से तं सजोगिकेबलिखीणकसायवीयरागचरित्तारिया। [231 प्र.] सयोगिकेवलिक्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्य किस प्रकार के कहे हैं ? [131 उ.] सयोगिकेवलिक्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैंप्रथमसमय-सयोगिकेवलिक्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्य और अप्रथमसमय-सयोगिकेवलिक्षीणकषायवीतरागचारित्रार्य ; अथवा चरमसमय-सयोगिकेवलि-क्षीणकषायवीतरागचारित्रार्य और अचरमसमयसयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्य। यह सयोगिकेवलिक्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्यों का निरूपण हुमा / 132. से कि तं प्रजोगिकेवलिखोणकसायवीयरागचरितारिया ? प्रजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागचरित्तारिया दुविहा पन्नता / तं जहा-पढमसमय प्रजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागचरित्तारिया य अपढमसमयप्रजोगिकेवलिखीणकसायवोयरागचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागचरित्तारिया य अचरिमसमय प्रजोगिकेबलिखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य / से तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीय रागचरित्तारिया। से तं केलि. खोणकसायवीतरागचरित्तारिया / से तं खोणकसायवीतरागचरित्तारिया। से तं वीतरागचरित्तारिया। [132 प्र.] अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्य कैसे होते हैं ? [132 उ.] अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं-प्रथमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्य और अप्रथमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषायवीतरागचारित्रार्य ; अथवा चरमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्य और अचरमसमयअयोगिकेवलि-क्षोणकषाय-बीतरागचारित्रार्य / इस प्रकार अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-बीतरागचारित्रार्यों का, साथ ही केवलिक्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्यों का वर्णन (भी पूर्ण हुआ), (और इसके पूर्ण होने के साथ ही) वीतराग-चारित्रार्यों की प्ररूपणा (भी पूर्ण हुई)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org