________________ 100 1 / प्रज्ञापनासून 127. से कि तं छउमस्थखीणकसायवीतरागचरित्तारिया ? छउमत्थखीणकसायधीतरागचरित्तारिया दुविहा पण्णता / तं जहा—सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागचरित्तारिया य बोहियछउमस्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य। [127 प्र.] छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य कौन हैं ? [127 उ.] छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के हैं। यथा-स्वयंबुद्धछद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य और बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य। 128. से कि तं सयंबुद्धछउमत्थखोणकसायवीयरागचरितारिया ? सयंबुद्धछउमस्थखोणकसायवीतरागचरित्तारिया दुविहा पण्णता। तं जहा-पढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य अपढमसमयसयंबद्धछउमत्थखीणकसायवी रित्तारिया य, प्रहवा चरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य प्रचरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखोणकसायवीतरागचरित्तारिया य / से तं सयंबुद्धछउमस्थखोणकसायवीतरागचरित्तारिया। [128 प्र.] वे स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य कौन हैं ? [128 उ.] स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं-प्रथमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य और अप्रथमसमयस्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य; अथवा चरमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषायवीतराग-चारित्रार्य और अचरमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य / यह हुआ, उक्त स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य का वर्णन / 126. से कि तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागचरित्तारिया ? बुद्धबोहियछ उमस्थखोणकसायवीतरागचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता / तं जहा--पढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य अपढमसमयबद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य, अहया चरिमसमयबद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य अचरिमसमयबुद्धबोहियछ उमस्थखोणकसायवीयरायचरित्तारिया य / सेत्तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया / से तं छउमत्थखीणकसायवीतरागचरित्तारिया। [126 प्र.] बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य कौन हैं ? [126 उ.] बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के हैं—प्रथमसमयबुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य और अप्रथमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषायवीतराग-चारित्रार्य; अथवा चरमसमयबुद्धबोधित-छद्मस्थ क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य और अचरमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य / यह बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागचारित्रार्यों और साथ ही छद्मस्थक्षीणकषायवीतरागचारित्रार्यों का वर्णन सम्पूर्ण हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org