________________ प्रथम प्रज्ञापनापद ] [ 99 चरित्तारिया दुविहा पण्णता, तं जहा-पडिवाती य अपडिवाती य / से तं बादरसंपरायसरागचरित्तारिया / से तं सरागचरित्तारिया। [123 प्र.] बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य किस प्रकार के हैं ? [123 उ.] बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं-प्रथमसमय-बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य और अप्रथमसमय-बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य अथवा चरमसमयबादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य और अचरमसमय-बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य अथवा (तीसरी तरह से) बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं--प्रतिपाती और अप्रतिपाती। यह हुआ बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य (का वर्णन) (और साथ ही) सराग चारित्रार्य (का वर्णन भी पूर्ण हुआ।) 124. से कि तं वीयरागचरित्तारिया ? बोयरागचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य खोणकसायवीतरागचरित्तारिया य / [124 प्र.] वीतराग-चारित्रार्य किस प्रकार हैं ? [124 उ. वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के हैं। वे इस प्रकार--उपशान्तकषाय-वीतरागचारित्रार्य और क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य / 125. से कि तं उपसंतकसायवीयरायचरित्तारिया ? . उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-पढमसमयउवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयउवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयउवसंतकसायवोयरागचरित्तारिया य अचरिमसमयउवसंतकसायवीयरागचरित्तारिया य / से तं उवसंतकसायवीयरागचरित्तारिया। [125 प्र.] उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य किस प्रकार के होते हैं ? [125 उ.] उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैंप्रथमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य और अप्रथमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य; अथवा चरमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य और अचरमसमय-उपशान्तकषाय-वीतरागचारित्रार्य / यह हुआ उपशान्तकषाय-वीतराग-चारित्रार्य का निरूपण / 126. से कि तं खीणकसायवीयरायचरित्तारिया ? खोणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पण्णता। तं जहा-छउमस्थखोणकसायवीतरागचरित्तारिया य केवलिखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य। [126 प्र.] क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य किस प्रकार के हैं ? [126 उ.] क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं-छद्मस्थ-क्षीणकषायवीतराग-चारित्रार्य और केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-चारित्रार्य / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org