________________ 98 ] [ प्रज्ञापनासूत्र यह हुआ उक्त अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्यों (का वर्णन) / (साथ ही, पूर्वोक्त) केवलि-क्षीणकषाय वीतरागदर्शनार्यों का वर्णन (भी पूर्ण हुआ और इसके पूर्ण होने के साथ ही) क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्यों का वर्णन भी समाप्त हुआ / यह है उक्त दर्शनार्य (मनुष्यों) का (विवरण) / 120. से किं तं चरित्तारिया ? चरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता / तं जहा–सरागचरित्तारिया य वीयरागचरित्तारिया य / [120 प्र.] चारित्रार्य (मनुष्य) कैसे होते हैं ? [120 उ.] चारित्रार्य (मनुष्य) दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा-सरागचारित्रार्य और वीतरागचारित्रार्य। 121. से कि तं सरागचरित्तारिया ? सरागचरित्तारिया दुविहा पन्नता। तं जहा-सुहमसंपरायसरागचरित्तारिया य बायरसंपरायसरागचरित्तारिया य / [121 प्र.] सरागचारित्रार्य मनुष्य कैसे होते हैं ? [121 उ.] सरागचारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं-सूक्ष्मसम्पराय-सराग-चारित्रार्य और बादरसम्पराय-सराग-चारित्रार्य / 122. से कि तं सुहमसंपरायसरागचरित्तारिया ? सुहमसंपरायसरागचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-पढमसमयसुहमसंपरायसरागचरितारिया य अपढमसमयसुहमसंपरायसरागचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयसुहमसंपरायसराग. चरित्तारिया य प्रचरिमसमयसुहमसंपरायसरागचरित्तारिया य; अहवा सुहमसंपरायसरागचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–संकिलिस्समाणा य विसुज्झमाणा य / से तं सुहुमसंपरायचरित्तारिया। [122 प्र.] सूक्ष्मसम्पराय-सरांगचारित्रार्य किस प्रकार के होते हैं ? [122 उ.] सूक्ष्मसम्पराय-सरागचारित्रार्य दो प्रकार के होते हैं प्रथमसमय-सूक्ष्मससम्पराय. सरागचारित्रार्य और अप्रथमसमय-सूक्ष्मसम्पराय-सरागचारित्रार्य; अथवा चरमसमय-सूक्ष्मसम्परायसरागचारित्रार्य और अचरमसमय-सूक्ष्मसम्पराय-सरागचारित्रार्य / अथवा सूक्ष्मसम्पराय-सरागचारित्रार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं--संक्लिश्यमान (ग्यारहवें गुणस्थान से गिर कर दशम गणस्थान में आये हए) और विशयमान (नवम गणस्थान से ऊपर चढ़ कर दशम गुणस्थान में पहुँचे हुए)। यह हुई, उक्त सूक्ष्मसम्पराय-सरागचारित्रार्य की प्ररूपणा / 123. से कि तं बादरसंपरायसरागचरितारिया ? बादरसंपरायसरागचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-पढमसमयबादरसंपरायसरागचरितारिया य अपढमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया य अचरिमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया या अहवा बादरसंपरायसराग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.