________________ 96 ] [प्रज्ञापनासूत्र [113 प्र.] क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य कैसे होते हैं ? [113 उ] क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं / वे इस प्रकार-छद्मस्थक्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य / 114. से कि तं छउमस्थखीणकसायवीयरागदसणारिया ? ___ छउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया दुविहा पण्णता। तं जहा-सयंबुद्धछउमस्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया य बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया य / [114 प्र.] छद्मस्थ क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के हैं ? [114 उ.] छद्मस्थ क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार--स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य / 115. से कि तं सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया ? सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारियादुविहा पण्णत्ता / तं जहा–पढमसमयसयंबुद्धछउमस्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया य अपढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया य, अहवा चरिमसमयसयंबुद्धछउमस्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया य अचरिमसमयसयंबुद्धछउमस्थखोणकसायवीयरायदसणारिया य / से तं सयंबुद्धछउमत्थखोणकसायवीयरायदंसणारिया। [115 प्र.] स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के होते हैं ? [115 उ] स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार-प्रथमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमय-स्वयंबुद्धछद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य अथवा चरमसमय स्वयंबुद्धछद्मस्थ क्षीणकषाय वीतरागदर्शनार्य और अचरमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य / यह हुआ उक्त स्वयंबुद्ध-छद्मस्थक्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्यों का वर्णन / 116. से किं तं बुधबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया ? बुद्धबोहियछ उमस्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-पढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया य अपढमसमयबद्धबोहियछउमस्थखीणकसायवीयरागदसणारिया य, अहवा चरिमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया य अचरिमसमयबुद्धबोहियछ उमत्थखोणकसायवीयरायदंसणारिया य / से तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया / से तं छउमत्थखीणकसायवीयरायदंसणारिया। [116 प्र.] बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य कैसे होते हैं ? [116 उ.] बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं / यथा--प्रथमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमय-बुद्धबोधितछद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य; अथवा चरमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-बीतरागदर्शनार्य और अचरमसमय-बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org