________________ प्रथम प्रज्ञापनापद] [ 97 यह हुआ उक्त बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य का निरूपण और इसके साथ ही उक्त छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य का निरूपण पूर्ण हुना। 117. से कि तं केवलिखीणकसायधीतरागदसणारिया ? केवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया दुविहा पण्णता / तं जहा–सजोगिकेवलिखोणकसायवीतरागदसणारिया य प्रजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य। [117 प्र.] केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के कहे गए हैं ? [117 उ.] केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं—सयोगि-केवलि. क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य / 118. से कितं सजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया? सजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा---पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य अपढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य, अहवा चरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य / सेत्तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया / [118 प्र.] सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के हैं ? [118 उ.] सयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं--प्रथमसमय-सयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमय-सयोगिकेवलिक्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य; अथवा चरमसमय-सयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अचरमसमय-सयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य / यह हुई उक्त सयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य की प्ररूपणा / 116. से कि तं प्रजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसणारिया ? अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-पढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य अपढमसमयप्रजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य, अहवा चरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य अचरिमसमयप्रजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदंसणारिया य / से तं प्रजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया। सेत्तं केवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया। से तं खीणकसायवीतरागदसणारिया। से तं वोयरायदंसणारिया / से त्तं दसणारिया। [116 प्र.] अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के होते हैं ? [116 उ.] अयोगि-केवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार-प्रथमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमय-अयोगिकेवलिक्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य, अथवा चरमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीणकषाय-वीतरागदर्शनार्य और अचरमसमय-अयोगिकेवलि-क्षीण कषाय-वीतरागदर्शनार्य / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org