________________ [ प्रज्ञापनासून जलचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों के साढ़े बारह लाख जाति-कुलकोटि-योनिप्रमुख होते हैं, ऐसा कहा है। यह हुई जलचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों की प्ररूपणा / 66. से कि तं थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ? थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया दुबिहा पण्णत्ता। तं जहा-चउपयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य / [66 प्र.] वे (पूर्वोक्त) स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक किस प्रकार के हैं ? [66 उ.] स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकारचतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक और परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक / 70. से कि तं चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया? चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया चउम्विहा पण्णता / तं जहा-एगखुरा 1 दुखुरा 2 गंडोपदा 3 सणफदा 4 // [70 प्र.] वे (पूर्वोक्त) चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक किस प्रकार के हैं ? [70 उ.] चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक चार प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं-१. एकनुरा (एक खुर वाले), 2. द्विखुरा (दो खुर वाले), 3. गण्डीपद (सुनार की एरण जैसे पैर वाले) और 4. सनखपद (नखसहित पैरों वाले) / 71. से कि तं एगखुरा? एगखुरा अणेगविहा पण्णत्ता। तं जहा-अस्सा अस्सतरा घोडगा गद्दमा गोरक्खरा कंदलगा सिरिकंदलगा प्रावत्ता, जे यावऽणे तहप्पगारा / से तं एगखुरा / [71 प्र.] वे एकखुरा किस प्रकार के हैं ? [71 उ.] एकखुरा अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं, जैसे कि--अश्व, अश्वतर, (खच्चर), घोटक (घोडा), गधा (गर्दभ). गोरक्षर, कन्दलक, श्रीकन्दलक और आवर्त (आवर्तक)। इसी प्रकार के अन्य जितने भी प्राणी हैं, (उन्हें एकखुर-स्थलचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्च के अन्तर्गत समझना चाहिए / ) यह हुआ एकखुरों का प्ररूपण / 72. से कि तं दुखुरा? दुखुरा अणेगविहा पण्णत्ता। तं जहा-उट्टा गोणा गवया रोज्झा पसुया महिसा मिया संवरा वराहा अय-एलग-रुरु-सरभ-चमर-कुरंग-गोकण्णमादी / से तं दुखुरा। [72 प्र.] वे द्विखुर किस प्रकार के कहे गए हैं ? [72 उ.] द्विखुर (दो खुर वाले) अनेक प्रकार के कहे गए हैं / जैसे कि--उष्ट्र (ऊँट), गाय (गौ और वृषभ आदि), गवय (नील गाय), रोज, पशुक, महिष (भैंस-भैंसा), मृग, सांभर, वराह (सूअर) अज (बकरा-बकरी), एलक (बकरा या भेड़ा), रुरु, सरभ, चमर (चमरी गाय), कुरंग, गोकर्ण प्रादि / यह दो खुर वालों की प्ररूपणा हुई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org