________________ 74 ] प्रज्ञापनासूत्र पंचिदियतिरिक्खजोणिया तिविहा पण्णत्ता। तं जहा-जलयरपंचिदियतिरिक्खजोणिया 1 बलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया 2 खहयरपंचिदियतिरिक्खजोणिया 3 / [61 प्र.] वे पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक किस प्रकार के हैं ? [61 उ.] पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक तीन प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं-(१) जलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक, (2) स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक और (3) खेचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक। 62. से कि तं जलयरपंचिदियतिरिक्खजोणिया ? जलयरपंचिदियतिरिक्खजोणिया पंचविहा पण्णत्ता। तं जहा—मच्छा 1 कच्छभा 2 गाहा 3 मगरा 4 सुसुमारा 5 / [62 प्र.] वे जलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक कैसे हैं ? [62 उ.] जलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक पांच प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार(१) मत्स्य, (2) कच्छप, (कछुए), (3) ग्राह, (4) मगर और (5) सुसुमार। 63. से कि तं मच्छा ? मच्छा प्रणेगविहा पण्णत्ता / तं जहा-सोहमच्छा खवल्लमच्छा' जुगमच्छा विज्झिडियमच्छा हलिमच्छा मग्गरिमच्छा रोहियमच्छा हलीसागरा गागरा वडा वडगरा तिमी तिमिगिला पक्का तंदुलमच्छा कणिक्कामच्छा सालिसच्छियामच्छा लंभणमच्छा पडागा पडामातिपडागा, जे यावऽण्णे तहप्पगारा / से तं मच्छा। [63 प्र.] वे (पूर्वोक्त) मत्स्य कितने प्रकार के हैं ? [63 उ.] मत्स्य अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार-श्लक्ष्णमत्स्य, खवल्लमत्स्य, युगमत्स्य (जुगमत्स्य), विज्झिडिय (विज्झडिय) मत्स्य, हलिमत्स्य, मकरीमत्स्य, रोहितमत्स्य, हलीसागर, गागर, वट, वटकर, (तथा गर्भज उसगार), तिमि, तिमिंगल, नक्र, तन्दुल मत्स्य, कणिक्कामत्स्य, शालिशस्त्रिक मत्स्थ, लंभनमत्स्य, पताका और पताकातिपताका / इसी प्रकार के जो भी अन्य प्राणी हैं, वे सब मत्स्यों के अन्तर्गत समझने चाहिए। यह मत्स्यों की प्ररूपणा हुई। 64. से किं तं कच्छभा ? कच्छमा दुविहा पण्णत्ता / तं जहा-अट्टिकच्छभा य मंसकच्छमा य / से तं कच्छभा। [64 प्र.] वे (पूर्वोक्त) कच्छप किस प्रकार के हैं ? [64 उ.] कच्छप दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं-अस्थिकच्छप (जिनके शरीर में हड्डियां अधिक हों, वे) और मांसकच्छप (जिनके शरीर में मांस की बहुलता हो, वे)। इस प्रकार कच्छप की प्ररूपणा पूर्ण हुई। पाठान्तर-१. जुगमच्छा / 2. 'गन्भया उसगारा' यह अधिक पाठ है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org