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प्रस्तावना
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(२०) स्पर्शनप्ररूपणा- इस अनुयोगद्वारमें कर्मप्रकृतियोंके बन्ध करनेवाले जीवोंके त्रैकालिक स्पर्शनक्षेत्रकी प्ररूपणा ओघ और आदेशसे विस्तारके साथ की गई है। इसे भी जीवस्थानकी स्पर्शनप्ररूपणाके आधारपर सहजमें जाना जा सकता है। वहांसे भेद केवल इतना है कि यहांपर प्रकृतिबन्धमें अमुक प्रकृतिका बंध करनेवाले जीवोंका वर्तमान और भूतकालिक क्षेत्र बतलाया गया है। स्थितिबन्धमें कर्मोंकी उत्कृष्ट, अनुत्कृष्ट, जघन्य और अजघन्य स्थितियोंके बन्धका आश्रय लेकर, अनुभागबन्धमें कर्मोके उत्कृष्ट-अनुत्कृष्ट आदि अनुभागका आश्रय लेकर और प्रदेशबन्धमें उत्कृष्ट-अनुत्कृष्ट आदि प्रदेशोंका आश्रय लेकर स्पर्शनक्षेत्रकी प्ररूपणा की गई है।
(२१) कालप्ररूपणा- इस अनुयोगद्वारमें नाना जीवोंकी अपेक्षा चारों प्रकारके बन्धोंको उत्कृष्ट अनुत्कृष्ट और जघन्य- अजघन्य कालकी प्ररूपणा की गई है। जैसे प्रकृतिबन्धकी अपेक्षा ज्ञानावरणादि प्रकृतियोंके बन्ध करनेवाले जीव भी सर्वकाल पाये जाते है और उनका बन्ध नहीं करनेवाले भी सर्वकाल पाये जाते है। स्थितिबन्धकी अपेक्षा सात कर्मोंकी उत्कृष्ट स्थितिके बन्ध करनेवाले जीवोंका जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है। इन्हीं कौकी अनुत्कृष्ट स्थितिका बन्ध करनेवाले जीव सर्वदा पाये जाते हैं। आयुकर्मकी उत्कृष्ट स्थितिका बन्ध करनेवाले जीवोंका जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल आवलीके असंख्यातवें भागप्रमाण है । अनुत्कृष्ट स्थितिका बन्ध करनेवाले जीवोंका सब काल है । सातों कर्मोंकी जघन्य स्थितिका बन्ध करनेवालो जीवोंका जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है। इन्हीं कर्मोंकी अजघन्य स्थितिका बन्ध करनेवाले जीवोंका काल सर्वदा है। आयुकर्मकी जघन्य और अजघन्य स्थितिके बन्ध करनेवालोंका काल सर्वदा है। अनुभागबन्धकी अपेक्षा चार घातिया कर्मोके उत्कृष्ट अनुभागके बन्ध करनेवाले जीवोंका जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल आवलीके असंख्यातवें भागप्रमाण है । अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्ध करनेवालोंका काल सर्वदा है। चारों अघातिया कर्मोंके उत्कृष्ट अनुभागके बन्धका जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल संख्यात समय है। इन्हीं कर्मोंके अनुत्कृष्ट अनुभागके बन्धका काल सर्वदा है। चारों घातिया कर्मोंके जघन्य अनुभागके बन्धका जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल संख्यात समय है। 'इन्हींके अजघन्य अनुभागके बन्धका काल सर्वदा है। वेदनीय, आयु और नामकर्मके जघन्य और
अजघन्य अनुभागके बन्धका काल सर्वदा है। गोत्रकर्मके जघन्य अनुभागके बन्धका जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल आवलीके असंख्यातवें भागप्रमाण है। अजघन्य अनुभागके बन्धका काल सर्वदा है। प्रदेशबन्धकी अपेक्षा मोहकर्मके उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल आवलीके असंख्यातवें भागप्रमाण है। अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धका काल सर्वदा है। जघन्य प्रदेशबन्धका जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल संख्यात समय है। अजघन्य प्रदेशबन्धका काल सर्वदा है । इस प्रकार इस अनुयोगद्वारमें ओघ और आदेशकी अपेक्षा सभी
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