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६२२] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[ ४, २, ७, ७७ उससे केवलज्ञानावरणीय, केवलदर्शनावरणीय, असातावेदनीय और वीर्यान्तराय ये चारों ही प्रकृतियां तुल्य होती हुई अनन्तगुणी हीन हैं ।। ७६ ।।
अणताणुबंधिलोभो अणंतगुणहीणो ॥ ७७ ॥ माया विसेसहीणा ॥ ७८ ॥ कोधो विसेसहीणो ॥ ७९ ॥ माणो विसेसहीणो ॥ ८० ॥
___ केवलज्ञानावरणीय आदिकी अपेक्षा अनन्तानुबन्धी लोभ अनन्तगुणा हीन है ॥ ७७ ॥ उससे अनन्तानुबन्धी माया विशेष हीन है ॥ ७८ ॥ उससे अनन्तानुबन्धी क्रोध विशेष हीन है ॥ ७९ ॥ उससे अनन्तानुबन्धी मान विशेष हीन है ॥ ८० ॥
संजतणाए लोभो अणंतगुणो ॥ ८१ ॥ माया विसेसहीणा ॥ ८२ ॥ कोधो विसेसहीणो ॥ ८३ ॥ माणो विसेसहीणो ॥ ८४ ॥
अनन्तानुबन्धी मानसे संज्वलन लोभ अनन्तगुणा हीन है ।। ८१ ।। उससे संज्वलन माया विशेष हीन है ।। ८२ ॥ उससे संचलन क्रोध विशेष हीन है ॥ ८३ ॥ उससे संज्वलन मान विशेष हीन है ।। ८४ ।।
पञ्चक्खाणावरणीयलोभो अणंतगुणहीणो ॥ ८५ ॥ माया विसेसहीणा ।। ८६ ॥ कोधो विसेसहीणो ॥ ८७ ॥ माणो विसेसहीणो ॥ ८८ ॥
संज्वलन मानसे प्रत्याख्यानावरण लोभ अनन्तगुणा हीन है ॥ ८५ ॥ उससे प्रत्याख्यानावरण माया विशेष हीन है ।। ८६ ॥ उससे प्रत्याख्यानावरण क्रोध विशेष हीन है ।। ८७ ॥ उससे प्रत्याख्यानावरण मान विशेष हीन हैं ।। ८८ ।।
अपञ्चक्खाणावरणीयलोभो अणंतगुणहीणो ॥ ८९ ॥ माया विसेसहीणा ॥ ९० ॥ कोधो विसेसहीणो॥९१ ॥ माणो विसेसहीणो ॥ ९२ ॥
प्रत्याख्यानावरण मानसे अप्रत्याख्यानावरणीय लोभ अनन्तगुणा हीन है ॥ ८९ ॥ उससे अप्रत्याख्यानावरण माया विशेष हीन है ॥ ९० ॥ उससे अप्रत्यख्यानावरण क्रोध विशेष हीन है ॥ ९१ ॥ उससे अप्रत्याख्यानावरण मान विशेष हीन है ॥ ९२ ॥
आभिणिबोहियणाणावरणीयं परिभोगंतराइयं च दो वि तुल्लाणि अणंतगुणहीणाणि ।। ९३ ॥
___ उससे आभिनिबोधिकज्ञानावरणीय और परिभोगान्तराय ये दोनों ही तुल्य होती हुई अनन्तगुणी हीन हैं ॥ ९३ ॥
चक्खुदंसणावरणीयमणंतगुणहीणं ॥ ९४ ॥ उनसे चक्षुदर्शनावरणीय प्रकृति अनन्तगुणी हीन है ॥ ९४ ॥ सुदणाणावरणीयमचक्खुदंसणावरणीयं भोगंतराइयं च तिण्णि अणंतगुणहीणाणि ॥
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