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छक्खंडागमे वेयणाखंड
[ ४, २, ७, २३३
पुणरवि सत्तसमइयाणि अणुभागबंधज्झवसाणड्डाणाणि असंखेज्जा लोगा ॥२३३॥ फिरसे भी सात समय योग्य अनुभागबन्धाध्यवसानस्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं | एवं छसमइयाणि पंचसमइयाणि चदुसमइयाणि अणुभागबंधज्झवसाणड्डाणाणि असंखेज्जा लोगा || २३४ ॥
६३४]
इसी प्रकार छह समय योग्य, पांच समय योग्य और चार समय योग्य अनुभागबन्धाध्यवसानस्थान असंख्यात लोकप्रमाण हैं ॥ २३४ ॥
उवरि तिसमइयाणि बिसमइयाणि अणुभागबंधज्झवसाणड्डाणाणि असंखेज्जा लोगा ॥ आगे तीन समय योग्य और दो समय योग्य अनुभागबन्धाध्यवसानस्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं ॥ २३५ ॥
एत्थ अप्पाबहुअं ।। २३६ ॥
अब यहां अल्पबहुत्व किया जाता है ।। २३६ ॥
सव्वत्थोवाणि अट्ठसमइयाणि अणुभागबंधज्झवसाणद्वाणाणि ॥ २३७ ॥ आठ समय योग्य अनुबन्धाध्यवसानस्थान सबसे स्तोक है || २३७ ॥
दो वि पासेसु सत्तसमइयाणि अणुभागबंधज्झवसाणट्ठाणाणि दो वि तुल्लाणि असंखेज्जगुणाणि ॥ २३८ ॥
दोनों ही पार्श्वभागों में सात समय योग्य अनुभागबन्धाध्यवसानस्थान दोनों ही तुल्य होकर पूर्वोक्त स्थानोंसे असंख्यातगुणे हैं ॥ २३८॥
एवं छसमइयाणि पंचसमइयाणि चदुसमइयाणि ॥ २३९ ॥
इस प्रकार छह समय योग्य, पांच समय योग्य और चार समय योग्य स्थानोंका अल्पबहुत्व समझना चाहिये || २३९ ॥
उवरि तिसमइयाणि ॥ २४० ॥
आगेके तीन समय योग्य अनुभागबन्धाध्यवसानस्थान उनसे असंख्यातगुणे हैं ॥ २४०॥ बिसमइयाणि अणुभागबंधज्झवसाणट्ठाणाणि असंखेज्जगुणाणि ॥ २४९ ॥ दो समय योग्य अनुभागबन्धाध्यवसानस्थान उनसे असंख्यातगुणे हैं ॥ २४१ ॥ हुमते काइया पवेसणेण असंखेज्जा लोगा ।। २४२ ॥
सूक्ष्म तेजकायिक जीव प्रदेशकी अपेक्षा असंख्यात लोक प्रमाण हैं ॥ २४२ ॥ अगणिकाइया असंखेज्जागुणा ॥ २४३ ॥
उनसे अग्निकायिक जीव असंख्यातगुणे है ॥ २४३ ॥
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