Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 887
________________ ७६२ ] छक्खंडागमे वग्गणा-खंड अपढमेसु गुणहाणिवाणंतरेसु पदेसग्गं विसेसाहियं ॥ ३८३ ॥ उससे अप्रथम गुणहानिस्थानान्तरोंमें प्रदेशाम विशेष अधिक है ॥ ३८३ ॥ पढमे गुणहाणिद्वाणंतरे पदेसग्गं विसेसा हियं ।। ३८४ ॥ उससे प्रथम गुणहानिस्थानान्तर में प्रदेशाग्र विशेष अधिक है || ३८४ ॥ अचरिमेसु गुणहाणिवाणंतरेसु पदेसग्गं विसेसाहियं ।। ३८५ ।। उससे अचरम गुणहानिस्थानान्तरों में प्रदेशाम विशेष अधिक है ।। ३८५ ॥ अपढम अचरिमासु ट्ठिदीसु पदेसग्गं विसेसाहियं ॥ ३८६ ॥ उससे अप्रथम- अचरम स्थितियोंमें प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ।। ३८६ ॥ अपढमासु द्विदी पदेसग्गं विसेसाहियं ।। ३८७ ॥ उससे अप्रथम स्थितियोंमें प्रदेशाय विशेष अधिक है || ३८७ ॥ अरिमासु द्विदी पदेसग्गं विसेसाहियं ।। ३८८ ॥ उससे अचरम स्थितियों में प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ॥ ३८८ ॥ सव्वादी सव्वे गुणहाणिट्ठाणंतरेसु पदेसग्गं विसेसाहियं ।। ३८९ ॥ उससे सब स्थितियों और सब गुणहानिस्थानान्तरों में प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ॥ ३८९ ॥ णिसेयअप्पा बहुए त्ति तत्थ इमाणि तिण्णि अणियोगद्दाराणि - जहणपदे उक्कपदे जणु कस्सपदे ॥ ३९० ॥ [ ५, ४, ३८३ निषेक सम्बन्धी अल्पबहुत्वकी प्ररूपणामें ये तीन अनुयोगद्वार हैं- जघन्य पदविषयक, उत्कृष्ट पदविषयक और जघन्य - उत्कृष्ट पदविषयक ॥ ३९० ॥ जहणपदेण सव्वत्थोवमोरालिय - वेउब्विय - आहारसरीरस्स एयपदे सगुणहाणिडाणांतरं ।। ३९१ । जघन्यपदकी अपेक्षा औदारिकशरीर, वैक्रियिकशरीर और आहारकशरीरका एकप्रदेश गुणहानिस्थानान्तर सबसे स्तोक है ॥ ३९९ ॥ यासरीरस्स एयपदेसगुणहाणिट्ठाणंतर मसंखेज्जगुणं ।। ३९२ ।। उससे तैजसशरीरका एकप्रदेश गुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणा है ॥ ३९२ ॥ कम्मइयसरीरस्स एयपदेसगुणहाणिङ्काणंतर मसंखेज्जगुणं ॥ ३९३ ॥ उससे कार्मणशरीरका एक प्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणा है ॥ ३९३ ॥ उक्कस्सपदेण सव्वत्थोवाणि आहारसरीरस्स णाणापदे सगुणहाणिट्ठाणंतराणि || उत्कृष्ट पदकी अपेक्षा आहारशरीरके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर सबसे स्तोक हैं ॥ ३९४ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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