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५, ६, ७३३ ] बंधणाणियोगहारे चूलिया
[७८९ एवं तिपदेसिय - चदुपदेसिय - पंचपदेसिय- छप्पदेसिय - सत्तपदेसिय - अट्ठपदेसियणवपदेसिय-दसपदेसिय-संखेज्जपदेसिय - असंखेज्जपदेसिय - अणंतपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा णाम किं गहणपाओग्गाओ किंमगहणपाओग्गाओ ॥७२३॥ अगहणपाओग्गाओ ॥
इस प्रकार त्रिप्रदेशिक, चतुःप्रदेशिक, पंचप्रदेशिक, छहप्रदेशिक, सप्तप्रदेशिक, अष्टप्रदेशिक, नवप्रदेशिक, दसप्रदेशिक, संख्यातप्रदेशिक, असंख्यातप्रदेशिक और अनन्तप्रदेशिक परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणायें क्या ग्रहणप्रायोग्य हैं या क्या अग्रहणप्रायोग्य हैं ? ॥ ७२३ ॥ वे अग्रहणप्रायोग्य होती हैं ॥ ७२४ ॥
अणंताणंतपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा णाम किं गहणपाओग्गाओ किमगहणपाओग्गाओ ? ॥७२५॥ काओ चि गहणपाओग्गाओ काओ चि अगहणपाओग्गाओ।
अनन्तानन्त प्रदेशिक परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणायें क्या ग्रहणप्रायोग्य हैं या क्या अग्रहणप्रायोग्य हैं ॥ ७२५ ॥ उनमें कोई ग्रहणप्रायोग्य हैं और कोई अग्रहणप्रायोग्य हैं ॥ ७२६ ॥
तासिमर्णताणतपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणाणमुवरि आहारदव्ववग्गणा णाम ॥
उन अनन्तानन्त प्रदेशिक परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर (मध्यमें) आहारद्रव्यवर्गणायें होती हैं ॥ ७२७ ॥
आहारदव्ववग्गणा णाम का ? ॥ ७२८ ॥ आहारदव्ववग्गणा तिण्णं सरीराणं गहणं पवत्तदि ।। ७२९ ॥
___आहारद्रव्यवर्गणा किसे कहते हैं ? ॥ ७२८ ॥ आहारद्रव्यवर्गणा तीन शरीरोंके लिये प्रवृत्त होती है । ७२९ ॥
____ अभिप्राय यह है कि जिसके स्कन्धोंको ग्रहण करके तीन शरीरोंकी निर्वृत्ति होती है उसे आहारद्रव्यवर्गणा जानना चाहिये ।
__ओरालिय-वेउब्बिय आहारसरीराणं जाणि दव्वाणि घेत्तूण ओरालिय-चेउव्वियआहारसरीरत्ताए परिणामेदण परिणमंति जीवा ताणि दव्वाणि आहारदव्ववग्गणा णाम ॥
औदारिकशरीर, वैक्रियिकशरीर और आहारकशरीरके जिन द्रव्योंको ग्रहण कर उन्हें औदारिक, वैक्रियिक और आहारक शरीर, रूपसे परिणमा करके जीव परिणत होते हैं उन द्रव्योंकी आहारद्रव्यवर्गणा संज्ञा है ॥ ७३० ॥
आहारदव्ववग्गणाणमुवरिमगहणदव्ववग्गणा णाम ॥ ७३१ ॥ आहारद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर अग्रहणद्रव्यवर्गणा होती है ॥ ७३१ ॥
अगहणदव्ववग्गणा णाम का ? ॥ ७३२ ॥ अगहणदव्ववग्गणा आहारदव्वमधिच्छिदा तेयादव्ववग्गणं ण पावदि ताणं दवाणमंतरे अगहणदव्ववग्गणा णाम ॥ ७३३॥
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