Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 913
________________ ७८८ ] छक्खंडागमे वग्गणा-खंड [ ५, ६, ७०९ असंखेज्जपदेसिय - अणंतपदेसिय-अणंताणंतपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा णाम ॥७०९॥ तासिमणताणंतपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणाणमुवरिमाहारसरीरदव्ववग्गणा णाम ॥७१०॥ आहारसरीरदव्ववग्गणाणमुवरिमगहणदव्ववग्गणा णाम ॥७११॥ अगहणदब्ववग्गणाणमुवरि तेजादव्ववग्गणा णाम ॥७१२॥ तेजादव्ववग्गणाणमुवरि अगहणदव्ववग्गणा णाम ॥७१३॥ अगहणदव्ववग्गणाणमुवरि भासादव्ववग्गणा णाम ॥७१४॥ भासादव्ववग्गणाणमुवरिमगहणदव्ववग्गणा णाम ॥७१५॥ अगहणदव्ववग्गणाणमुवरि मणदव्ववग्गणा णाम ॥ ७१६ ॥ मणदव्ववग्गणाणमुवरिमगहणदव्ववग्गणा णाम ॥ ७१७॥ वर्गणाप्ररूपणाकी अपेक्षा यह एकप्रदेशिक परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणा है ।। ७०७ ॥ यह द्विप्रदेशिक परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणा है ॥ ७०८ ॥ इस प्रकार त्रिप्रदेशिक, चतुःप्रदेशिक, पंचप्रदेशिक, षट्प्रदेशिक, सप्तप्रदेशिक, अष्टप्रदेशिक, नवप्रदेशिक, दसप्रदेशिक, संख्यातप्रदेशिक, असंख्यातप्रदेशिक अनन्तप्रदेशिक और अनन्तानन्तप्रदेशिक परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणामें जानना चाहिये ॥ ७०९ ॥ उन अनन्तानन्तप्रदेशी परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर आहारशरीरद्रव्यवर्गणा होती है ॥ ७१० ॥ आहारशरीरद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर अग्रहणद्रव्यवर्गणा होती है ॥७११॥ अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर तैजसद्रव्यवर्गणा होती है ॥ ७१२ ॥ तैजसद्व्यवर्गणाओंके ऊपर अग्रहणद्रव्यवर्गणा होती है ॥ ७१३ ॥ अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर भाषाद्रव्यवर्गणा होती है ॥७१४ ॥ भाषाद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर अग्रहणद्रव्यवर्गणा होती है ॥ ७१५॥ अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर मनोद्रव्यवर्गणा होती है ॥ ७१६ ॥ मनोद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर अग्रहणद्रव्यवर्गणा होती है ॥ अगहणदव्ववग्गणाणमुवरि कम्मइयदव्ववग्गणा णाम ॥ ७१८॥ अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर कार्मणद्रव्यवर्गणा होती है ॥ ७१८ ॥ ॥ इस प्रकार वर्गणा परूवणा समाप्त हुई ॥ वग्गणणिरूवणदाए इमा एयपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा णाम किं गहणपाओग्गाओ किमगहणपाओग्गओ १॥ ७१९ ॥ अगहणपाओग्गाओ इमाओ एयपदेसियसव्वपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणाओ ॥ ७२० ॥ वर्गणानिरूपणाकी अपेक्षा ये एकप्रदेशिक परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणायें क्या ग्रहणप्रायोग्य हैं या क्या अग्रहणप्रायोग्य हैं ? ॥ ७१९ ॥ ये एकप्रदेशिक सब परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणायें अग्रहणप्रायोग्य हैं ॥ ७२० ॥ ___इमा दुपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा णाम किं गहणपाओग्गाओ किमगहणपाओग्गाओ ? ॥ ७२१ ॥ अगहणपाओग्गाओ ॥ ७२२ ॥ यह द्विप्रदेशिक परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणायें क्या ग्रहणप्रायोग्य हैं या क्या अग्रहणप्रायोग्य हैं ? ॥ ७२१ ॥ वे अग्रहणप्रायोग्य हैं ॥ ७२२ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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