Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 939
________________ ८१४ ] छक्खंडागम वर्णव्यत्यय संस्कृत प्राकृत सूत्र त्रि. प्रा. शब्दनु. र्क = १।४।७८ क तर्क क्ख कर्कश ग्ग वर्ग: दीर्घः - अर्चनीयाः ५,५,९८ १,९-१,४० १,२,९८ ४,१,५५ ३,४२ १,९-२,१४ ४,२-१०,९ वर्ज = ण्ण ट्ट १।४।३० उदी परिवर्तम परिवर्तमान वर्धमान तर्पण गर्भोपक्रान्तिकेष तक्क कक्खड वग्गो दीहे अच्चणिज्जा वज्ज उदिण्णा परियट्ट परियत्तमाण वड्डमाण तप्पण गब्भोवक्कंतिए कम्म पज्जत्ता पिल्लेवण पुव्व, पव्व वस्स, वास = प्प ४,२-७,३२ ४,१,४४ ५,५,१८ १,९-९,१७ १,९-१,१ १,१,३४ ५,६,६५२-५३ कर्म १।४।२४ पर्याप्त: निर्लेपन पूर्व, पर्व वर्ष व्यवहार कर्तव्यः प्रश्न ववहार कादव्वो पण्ण २,२,२; १,९-६,१४ ४,२-२,२ १,९-४,१ दृष्टिः दिट्टी किण्ह १।४।६९ श४।१४ ११४।६९ ११४।६ ११४१४० १,१,९ १,९,१३७ ५,६,६८ ४,१,५५ ४,१,४६ १,९-१,४० खंध कृष्ण स्कन्ध स्तव-स्तुति स्थापनाकृतिः स्निग्ध = फ स्पर्श स स्मतिः स्त्र = स्स सहस्राणि स्व = स स्वस्थानेन ह्म = म्ह ब्रह्म ह्र = ब्भ जिह्वेन्द्रिय थय-थुदि ठवणकदी णिद्ध फास सदी सहस्साणि सत्थाणेण बम्ह जिभिदिय ५,५,४१ २,२,२ ५,५,७० ५,५,२६ ११४।६७ १।४।५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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