Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 947
________________ ८२२ ] छक्खंडागम पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ ३११ २७ ये चार लब्धियां प्रारम्भकी चार लब्धियां । ३१२ ११ पर्याप्त अवस्थामें ही होता है, न कि पर्याप्त ही होता है, न कि अपर्याप्त; अपर्याप्त अवस्थामें; ३१३ १७ मूल मूले ३१३ २२ पण्णारसक मीसु पण्णारसकम्मभूमीसु ३१३ २४ अढ द्वीप अढाई द्वीप ३१४ १५ वेदणीयं णामं वेदणीयं मोहणीयं णाम ३१८ १ उप्पादता उप्यादेंता ३२२ ३ प्रकारसे पंचेन्द्रियतिर्यंच पर्याप्त प्रकारसे पंचेन्द्रिय तिर्यंच और पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त ३२७ २८ तिरिक्खसासणससम्माइट्ठी तिरिक्खसासणसम्माइट्ठी ३३४ ३ असण्णीसु सण्णीसु ३३७ २२ केइंमोहिणाण० केइमोहिणाण ३३८ २१ और कोई सर्व और सर्व १० मुप्पांएंति मुप्पाएंति ३४२ ६ सव्वदुःखाण० सव्वदुक्खाण० ३४३ ३५२ ६ नारकी जीव नारकी यह नाम ३५४ २४ णाम णाम ३५४ कमक कर्मके ३५६ २ कैसा कैसे ३५६ २० परिहारशुद्धिसंजदो परिहारसुद्धिसंजदो ३५८ २ परिणामिक पारिणामिक १ -वेदभगो वेदभंगो ३७३ २२ तक ही रहता तक रहता ३७८ सम्यग्मिथ्यादृष्टि सम्यग्मिथ्यादृष्टि ३८० तियचोंमें तियचोंमें ३८८ २० दंसाणुवादेण दसणाणुवादेण ३९८ २६ असंखेज्जा संखेज्जा ३९८ २७ असंख्यात संख्यात ३७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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