Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 950
________________ शुद्धि-पत्रक [८२५ ५४८ पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ ५४२ ११ तप्पाओगेण तप्पाओग्गेण ५४३ मात्रमें मात्रामें ५४४ २२ स्थानान्तर - स्थानान्तरमें ५४५ २९ उक्कस्सजोगे उक्कस्सजोगेण ५४७ १७ आयुबन्धकों आयुबन्धकोंके पलिदोव्वमस्स पलिदोवमस्स ५५० १७ पर्याप्तियोंसे हुआ पर्याप्तियोंसे पर्याप्त हुआ ५५० २२ वह वहां ५५२ ३० भव स्तोक भव बहुत और पर्याप्त भव स्तोक ५५३ १९ अहवस्सीओ अट्ठवस्सिओ ५५४ ९ जीवदव्बए जीविदव्यए ५५४ २७ संसरीदुण संसरिदूण ४ अहवस्सीओ अट्ठवस्सिओ ५५५ १६ -वेयणा जहण्णा - वेयणा दव्वदो जहण्णा ५५५ १९ उपर्युक्त वेदनाके विरुद्ध उसकी जघन्य इससे भिन्न उसकी बेदना वेदना ५५६ २७ द्वारा पर्याप्तियोंसे द्वारा सभी पर्याप्तियोंसे ५५९ २६ कर्म कार्य ५६२ १५ अणंतरोवनिधा अणंतरोवणिधा ५६३ १७ अविभाप्रतिच्छेदोंकी अविभागप्रतिच्छेदोंकी ५६४ १९ परंपरोनिधानके परम्परोपनिधाके ५६५ १६ - हाणि हाणी ५६६४ ७ जोगट्ठाणाणि वि जोगट्ठाणाणि दो वि ५७१ ३ तिसमयआहारायस्स तिसमयआहारयस्स ५७४ ५,११ अवगाहना उससे विशेष अवगाहना विशेष ५७४ ८ उकसिया उक्कस्सिया ५७४ २६ णिवत्ति० णिव्यत्ति ५७५ १० उक्कसिया उक्कस्सिया x पृ. ५६७ और ५७९ पर भूलसे जो भिन्न खण्ड-द्योतक ॐ इत्यादि......लग गये हैं, वे वहां नहीं होना चाहिए, क्योंकि वेदनाखण्ड ५१० से प्रारम्भ होकर ६८७ पृष्ठ पर समाप्त हुआ है। छ. १०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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