Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 951
________________ ८२६] ६०१ छक्खंडागम पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ ५८४ ९ यथासम्भव वेदनीयकर्मके समान ही यथासम्भव द्विचरमभव्यसिद्धिक, त्रिचरम __ भव्यसिद्धिक आदिके क्रमसे ५९३ ३ जाव पढम जं पढम५९४ १९ - मुहुत्तयाबाधं - मुहुत्तमावा, ५९४ २४ उणया ऊणया ५९५ ५ सागरोपमाके सागरोपमके ५९५ ८ अट्टणं अट्ठण्णं ५९७ २३ सण्णीमसण्णीण सण्णीणमसण्णीण ५९८ ११ सण्णीमसण्णीण - सण्णीणमसण्णीण६०० १० आणिओगद्दाराणि अणिओगद्दाराणि संकलिट्ठदरा संकिलिट्ठदरा असंख्यातगुणे संख्यातगुणे ६०६ - पाओग्गट्ठाणाणि - पाओग्गट्ठाणाणि संखज्जगुणाणि ६०७ ८ पडयिक पयडि० ६०७ १२ पमाणाणुगमे पमाणाणुगमेण ६०८ ५ द्विदिए ६०८ १८ प्रकृतिस्थिति प्रत्येक स्थिति ६०८ २९ विशेष हैं विशेष अधिक हैं ६१३ ९ विषय प्ररूपणा विषयमें पदप्ररूपणा ६१३ १५ सागारूवजोगेण सागारूवजोगेण ६१३ २६ अनुयोगबन्ध अनुभागबन्ध ६१४ १५ अन्तरायके सम्बन्धी अन्तराय-सम्बन्धी ६१८ १३ अनुयोगद्धार अनुयोगद्वार ६१८ १५ सव्वत्थोवा जहण्णपदेण सव्वत्थोवा ६१८ १६ भावकी अपेक्षा जघन्य पदकी अपेक्षा भावसे ६२० २० णीरिय वीरिय ६२० २२,२४ ये प्रकृतियां उत्तरोत्तर ये प्रकृतियां अनुभागकी अपेक्षा उत्तरोत्तर ६२१ ५ अर्थात् पंच नोकषाय अर्थात् ६२१ १५ अनुभागवाली संयुक्त है अनुभागवाली है ६२१ ३० अणंतगुणहीणाणी अणंतगुणहीणाणि ठिदीए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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