Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 938
________________ ग्रन्थगत प्राकृत शब्दोंका स्वरूपभेद [ ८१३ वर्णव्यत्यय संस्कृत प्राकृत त्रि. प्रा. शब्दानु. . ११४१७८ ४,१,६५ १,१,६० १।४।३७ गंथिम विग्गह अग्ग णाणी जोइसिय वज्ज वइर पण्णासाए मट्टिय तच्चं चत्त सच्च १,१,१४५ १,१,९६ १,९-१,३६ ५,५,१२६ ४,२-६,१०८ ४,१,७११ ५,५,५१ ४,१.६३ १,१,४९-५२ १,१,४१ १,३,२ १,१,२ ११४।९८ ११४।९८ ११४।३६ ।४।३१ १ ४।६५ १४।१७ पत्तेय खेत्ते १४१७८ २०१७ १,१,९ १०४१२३ ग्र- ग ग्रन्थिम ग्र - ग्ग विग्रह ग्रय - ग्ग अग्रय ज्ञ = ण ज्ञानी ज्य - ज ज्योतिष्क ज्र = ज्ज वज्र ज्र = इर वज्र ञ्च = ण्ण पञ्चाशतः त्त --- दृ मृत्तिका त्व = च्च तत्त्वं त्य = च त्यक्त त्य = च्च सत्य त्य == त्त प्रत्येक त्र = त क्षेत्रे त्र == त्थ तत्र त्व = त त्वक त्स = च्छ श्रीत्वस थ्य = च्छ मिथ्यादृष्टिः द्घ = ग्घ समुद्घात द्घ == ह समुद्घतः द्ध = ज्झ विशुद्धता द्ध = ड्ढ वृद्धि द्भ = भ सद्भाव द्म -- म्म पद्म द्य = जज विद्युतां . द्र = ६ समुद्र द्विपद ध्य = ज्झ उपाध्यायानाम् जन्मना अन्योन्याभ्यास स्थाप्यः प्र - प प्रमत्त प्र = प्प अंगमलप्रभृतीनि ब्द = द्द शब्दादयः भ्य = भ अभ्युत्थितः भ्र = ब्भ बभ्रेण, दभ्रेण म्य = म्म सम्यक् ४,२-५,९ ५,५,६६ १४॥३५ १,१,१३६ तत्थ तय सिरिवच्छ मिच्छाइट्ठी समुग्धाद समुहदो विसुज्झदा वुड्डी सब्भाव पम्म विज्जणं समुद्द दुवय उवज्झायाणं जम्मणेण अण्णोण्णब्भास थप्पो पमत्त अंगमलप्पहुडीणि सद्दादओ अब्भुट्टिदो बब्भेण, दब्भण १।४।२४ .. १।४।८० १।२।४८ २४।२६ २४।४८ १,१,१५७ ५,५,१५७ १,१,१ ४,२-४,५९ १,२,२२ ५,६,२४ १,१,१४ ५,६,३७ ४,१,५० ४,२-४,७४ ५,६,४१ ५,५,१०८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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