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७९२ छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं
[ ५, ६, ७५८ दंसणावरणीयत्ताए वेयणीयत्ताए मोहणीयत्ताए आउअत्ताए णामत्ताए गोदत्ताए अंतराइयत्ताए परिणामेदण परिणमंति जीवा ताणि व्याणि कम्मइयदव्यवग्गणा णाम ॥ ७५८ ॥
कार्मणद्रव्यवर्गणा किसे कहते हैं ? ॥ ७५६ ।। कार्मणद्रव्यवर्गणा आठ प्रकारके कर्मके ग्रहणरूपसे प्रवृत्त होती है ॥ ७५७ ।। ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र और अन्तरायके जो द्रव्य हैं उन्हें ग्रहणकर और ज्ञानावरणरूपसे, दर्शनावरणरूपसे, वेदनीयरूपसे, मोहनीयरूपसे, आयुरूपसे, नामरूपसे, गोत्ररूपसे और अन्तरायरूपसे परिणमा कर जीव परिणमित होते हैं उन द्रव्योंका नाम कार्मणद्रव्यवर्गणा है ॥ ७५८ ॥
॥ इस प्रकार वर्गणा निरूपणा समाप्त हुई । पदेसट्ठदा- ओरालियसरीर-दव्यवग्गणाओ पदेसट्ठदाए अणंताणंत पदेसियाओ ।
अब प्रदेशार्थता अधिकारप्राप्त है- औदारिकशरीर-द्रव्यवर्गणायें प्रदेशार्थताकी अपेक्षा अनन्तानन्त प्रदेशवाली होती हैं । ७५९ ॥
पंचवण्णाओ ॥ ७६० ॥ पंचरसाओ ॥ ७६१ ॥ दुगंधाओ ॥ ७६२ ॥ अट्ठफासाओ ॥ ७६३॥
वे पांच वर्णवाली होती हैं ॥७६०॥ पांच रसवाली होती हैं ॥ ७६१ ॥ दो गन्धवाली होती हैं ।। ७६२ ॥ आठ स्पर्शवाली होती हैं । ७६३ ॥
वेउब्वियसरीर-दव्ववग्गणाओ पदेसट्ठदाए अणंताणतपदेसिया ॥ ७६४ ॥ वैक्रियिकशरीर-द्रव्यवर्गणायें प्रदेशार्थताकी अपेक्षा अनन्तानन्त प्रदेशवाली होती हैं ।
पंचवण्णाओ॥ ७६५॥ पंचरसाओ ॥७६६ ॥ दुगंधाओ ॥७६७॥ अट्टफासाओ ॥ ७६८ ॥
वे वैक्रियिकशरीर-द्रव्यवर्गणायें पांच वर्णवाली होती हैं ।। ७६५ ॥ पांच रसवाली होती हैं ॥ ७६६ ॥ दो गन्धवाली होती हैं ॥ ७६७ ॥ तथा आठ स्पर्शवाली होती हैं ॥ ७६८ ॥
आहारसरीर-दव्यवग्गणाओ पदेसठ्ठदाए अणंताणंत पदेसियाओ ॥ ७६९ ॥ आहारकशरीर-द्रव्यवर्गणायें प्रदेशार्थताकी अपेक्षा अनन्तानन्त प्रदेशवाली होती हैं ।
पंचवण्णाओ ॥ ७७० ॥ पंचरसाओ ॥ ७७१ ॥ दुगंधाओ ॥ ७७२ ॥ अट्ठफासाओ ॥ ७७३ ॥
वे आहारकशरीर-द्रव्यवर्गणायें पांच वर्णवाली होती हैं ॥ ७७० ॥ पांच रसवाली होती हैं ॥ ७७१ ॥ दो गन्धवाली होती हैं ॥७७२ ।। आठ स्पर्शवाली होती हैं ॥ ७७३ ॥
तेजासरीर-दव्यवग्गणाओ पदेसट्ठदाए अणंताणंतपदेसियाओ ॥ ७७४ ॥ तैजसशरीर-द्रव्यवर्गणायें प्रदेशार्थताकी अपेक्षा अनन्तानन्त प्रदेशवाली होती हैं ।
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