Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, 
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan

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Page 902
________________ बंधणाणियोगद्दारे चूलिया [ ७७७ पदेपमाणागमेण पुढविकाइयजीवपदेसा असंखेज्जा ।। ५६१ ।। आउक्काइयजीवपदेसा असंखेज्जा ।। ५६२ ।। उक्कायियजीवपदेसा असंखेज्जा ।। ५६३ ।। वाउक्काइयजीव देसा असंखेज्जा ।। ५६४ ।। वणफदिकाइयजीवपदेसा अनंता ।। ५६५ ।। तसकाइयजीव देसा असंखेज्जा ।। ५६६ ॥ སྙན༡ ५, ५८० ] प्रदेशप्रमाणानुगमकी अपेक्षा पृथिवीकायिक जीवों के प्रदेश असंख्यात हैं ।। ५६१ ॥ उनसे जलकायिक जीवोंके प्रदेश असंख्यात हैं ॥ ५६२ ॥ उनसे अग्निकायिक जीवोंके प्रदेश असंख्यात हैं ॥ ५६३ || उनसे वायुकायिक जीवोंके प्रदेश असंख्यात हैं || ५६४ ॥ उनसे, वनस्पतिकायिक जीवोंके प्रदेश अनन्त हैं || ५६५ || उनसे त्रसकायिक जीवोंके प्रदेश असंख्यात हैं ॥ ५६६ ॥ अप्पाबहुअं दुविहं - जीवअप्पा बहुअं चैव पदेसअप्पाबहुअं चेव ।। ५६७ ।। अब दो प्रकारका है- जीव अल्पबहुत्व और प्रदेश अल्पबहुत्व || ५६७ ।। जीव अप्पा हुए ति सव्वत्थोवा तसकाइयजीवा ।। ५६८ ।। तेउकाइयजीवा असंखेज्जगुणा ।। ५६९ ।। पुढविकाइयजीवा विसेसाहिया ।। ५७० ।। आउकाइयजीवा विसेसाहिया ।। ५७१ || वाउकाइयजीवा विसेसाहिया || ५७२ ।। वणफदिकाइयजीवा अतगुणा ।। ५७३ ॥ जीव अल्पबहुत्त्वकी अपेक्षा त्रसकायिक जीव सबसे स्तोक हैं । ५६८ ॥ उनसे अग्निकायिक जीव असंख्यातगुणे हैं || ५६९ ॥ उनसे पृथिवीकायिक जीव विशेष अधिक हैं || ५७० ॥ उनसे अप्कायिक जीव विशेष अधिक हैं ॥ ५७१ ॥ उनसे वायुकायिक जीव विशेष अधिक हैं ॥ ५७२ ॥ उनसे वनस्पतिकायिक जीव अनन्तगुणे हैं ॥ ५७३ ॥ पदेसअप्पाबहूए ति सव्वत्थोवा तसकाइयपदेसा ॥ ५७४ ।। तेउकाइयपदेसा असंखेज्जगुणा ।। ५७५ ।। पुढविकाइयपदेसा विसेसाहिया ।। ५७६ ।। आउकाइयपदेसा विसेसाहिया ।। ५७७ ।। वाउकाइयपदेसा विसेसाहिया ।। ५७८ ।। वणदिकाइयपदेसा अतगुणा ।। ५७९ । प्रदेशअल्पबहुत्त्वकी अपेक्षा त्रसकायिक जीवोंके प्रदेश सबसे स्तोक हैं ॥ ५७४॥ उनसे अग्निकायिक जीवोंके प्रदेश असंख्यातगुणे हैं ।। ५७५ ॥ उनसे पृथिवीकायिक जीवोंके प्रदेश विशेष अधिक हैं || ५७६ ॥ उनसे अपकायिक जीवोंके प्रदेश विशेष अधिक हैं ।। ५७७ ॥ उनसे वायुकायिक जीवोंके प्रदेश विशेष अधिक हैं || ५७८ ॥ उनसे वनस्पतिकायिक जीवोंके प्रदेश अनन्तगुणे हैं || ५७९ ॥ छ. ९८ Jain Education International ५. चूलिया तो उवरिमगंथो चूलिया णाम ।। ५८० ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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