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५, ३, ३० ] फासणिओगद्दारे फासफासो
[ ६९१ अब सर्वस्पर्शका अधिकार है ॥ २१ ॥ जो द्रव्य परमाणुके समान सबका सब सर्वात्मना स्पर्श करता है, वह सब सर्वस्पर्श है ॥ २२ ॥
___ जो सो फासफासो णाम ॥ २३ ॥ सो अट्ठविहो- कक्खडफासो मउवफासो गरूवफासो लहुवफासो णिद्धफासो रूक्खफासो सीदफासो उण्हफासो । सो सव्वो फासफासो णाम ॥ २४॥
___ अब स्पर्शस्पर्शका अधिकार है ॥ २३ ॥ वह आठ प्रकारका है- कर्कशस्पर्श, मृदुस्पर्श, गुरुस्पर्श, लघुस्पर्श, स्निग्धस्पर्श, रूक्षस्पर्श, शीतस्पर्श और उष्णस्पर्श । वह सब स्पर्शस्पर्श है ॥२४॥
जो सो कम्मफासो ॥२५॥ सो अट्ठविहो- णाणावरणीय-दंसणावरणीय-वेयणीयमोहणीय-आउ-णामा-गोद-अंतराइयकम्मफासो । सो सव्वो कम्मफासो णाम ॥ २६ ॥
अब कर्मस्पर्शका अधिकार है ॥ २५ ॥ वह आठ प्रकारका है- ज्ञानावरणीयकर्मस्पर्श, . दर्शनावरणीयकर्मस्पर्श, वेदनीयकर्मस्पर्श, मोहनीयकर्मस्पर्श, आयुकर्मस्पर्श, नामकर्मस्पर्श, गोत्रकर्मस्पर्श और अन्तरायकर्मस्पर्श । वह सब कर्मस्पर्श है ॥ २६ ॥
जो सो बंधफासो णाम ॥ २७ ॥ सो पंचविहो- ओरालियसरीरबंधफासो एवं वेउव्विय-आहार-तेया-कम्मइयसरीर बंधफासो । सो सव्वो बंधफासो णाम ॥ २८ ॥
अब बन्धस्पर्शका अधिकार है ॥ २७ ॥ वह पांच प्रकारका है- औदारिक शरीरबन्धस्पर्श, इसी प्रकार वैक्रियिक, आहारक, तैजस और कार्मण शरीरबन्धस्पर्श । वह सब बन्धस्पर्श है ।।
जो सो भवियफासो णाम ॥ २९ ॥ जहा विस-कूड-जंत-पंजर-कंदय-चग्गुरादीणि कत्तारो समोद्दियारो य भवियो फुसणदाए णो य पुण ताव-तं फुसदि सो सवो भवियफासो णाम ॥ ३० ॥
अब भव्यस्पर्शका अधिकार है ॥ २९ ॥ सो वह भव्यस्पर्श इस प्रकार है-- विष, कूट, यन्त्र, पंजर, कन्दक और पशुको फँसानेका जाल आदि तथा इनके करनेवाले और इन्हें इच्छित स्थानमें रखनेवाले स्पर्शनके योग्य होंगे परन्तु अभी उन्हें स्पर्श नहीं करते; वह सब भव्यस्पर्श है ।
जिसका पान आदि करनेपर प्राणोंका विनाश होता है उसका नाम विष (शंखिया आदि) है । जो यन्त्र कौवा व चूहों आदिके पकड़नेके लिये बनाया जाता है वह कूट कहलाता है । जिसके भीतर सिंह व व्याघ्र आदि हिंसक पशुओंको फसाया जाता है उसे यन्त्र कहते हैं । जिसके भीतर तोता आदि पक्षियोंको परतंत्र रखा जाता है उसका नाम पंजर है।
हाथीके पकड़नेके लिये जो गड्ढा आदि बनाया जाता है उसे कन्दक समझना चाहिये। जिस फांसके द्वारा हिरण आदिको पकड़ा जाता है वह वागुरा कही जाती है। इन सब पंच विशेषोंको उनके निर्माताओंको और उनका यथेच्छ उपयोग करनेवालोंको भव्यस्पर्शके अन्तर्गत समझना चाहिये । इन सबको जो यहां 'भव्यस्पर्श' नामसे कहा गया है वह स्पर्शकी योग्यताकी दृष्टिसे जानना चाहिये ।
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