Book Title: Shatkhandagam
Author(s): Pushpadant, Bhutbali,
Publisher: Walchand Devchand Shah Faltan
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५, ४, ३५६ ] बंधणाणियोगद्दारे सरीरपरूवणाए पदेसविरओ
[ ७५९ उससे अप्रथम-अचरम स्थितियोंमें प्रदेशाग्र असंख्यातगुणा है ॥ ३४३ ॥ अपढ मासु द्विदीसु पदेसग्गं विसेसाहियं ॥ ३४४ ॥ उससे अप्रथम स्थितियोंमें प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ॥ ३४४ ॥ अचरिमासु द्विदीसु पदेसग्गं विसेसाहियं ॥ ३४५ ॥ उससे अचरम स्थितियोंमें प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ॥ ३४५ ॥ सव्वासु द्विदीसु पदेसग्गं विसेसाहियं ॥ ३४६ ॥ उससे सब स्थितियोंमें प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ॥ ३४६ ॥ एवं तिण्णं सरीराणं ।। ३४७॥
इसी प्रकार वैक्रियिक, तैजस और कार्मण इन तीन शरीरोंके प्रदेशाग्रका जघन्यपदकी अपेक्षा अल्पबहुत्त्व कहना चाहिये ॥ ३४७ ॥
जहण्णपदेण सव्वत्थोवं आहारसरीरस्स चरिमाए द्विदीए पदेसग्गं ॥ ३४८ ॥ जघन्य पदकी अपेक्षा आहारकशरीरकी अन्तिम स्थितिमें प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है । पढमाए द्विदीए पदेसग्गं संखेज्जगुणं ॥ ३४९ ॥ उससे प्रथम स्थितिमें प्रदेशाग्र असंख्यातगुणा हैं ॥ ३४९ ॥ अपढम-अचरिमासु द्विदीसु पदेसग्गमसंखेज्जगुणं ॥ ३५० ॥ उससे अप्रथम-अचरम स्थितियों में प्रदेशाग्र असंख्यातगुणा है ॥ ३५० ॥ अपढमासु द्विदीसु पदेसग्गं विसेसाहियं ॥ ३५१॥ उससे अप्रथम स्थितियोंमें प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ॥ ३५१ ।। अचरिमासु द्विदीसु पदेसग्गं विसेसाहियं ॥ ३५२ ॥ उससे अचरम स्थितियोंमें प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ॥ ३५२ ॥ सव्वासु हिदीसु पदेसग्गं विसेसाहियं ॥ ३५३ ॥ उससे सब स्थितियोंमें प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ॥ ३५३ ॥ उक्कस्सपदेण सव्वत्थो ओरालियसरीरस्स चरिमे गुणहाणिट्ठाणंतरे पदेसग्गं ॥ उत्कृष्ट पदकी अपेक्षा औदारिकशरीरके अन्तिम गुणहानि स्थानान्तरोंमें प्रदेशाग्र सबसे । ३५४ ॥ अपढम-अचरिमेसु गुणहाणिट्ठाणंतरेसु पदेसग्गमसंखेज्जगुणं ॥ ३५५ ॥ उससे अप्रथम-अचरम गुणहानिस्थानान्तरोंमें प्रदेशाग्र असंख्यातगुणा है ॥ ३५५ ॥ अपढमेसु गुणहाणिट्ठाणंतरेसु पदेसग्गं विसेसाहियं ॥ ३५६ ॥
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